Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 110
________________ ( १०८ ) सुर उपना, तापस सुर कोय ॥ तुज दुःख दीधुं जेटलुं, कर्मनी ए गति जोय ॥ कर्म० ॥ ११ ॥ हरिचंद सुणी एम चिंतवे, साची जिन वा ॥ संशय जांजे जीवना, सुखनी ए खाए ॥ कर्म० ॥ ॥ १२ ॥ वाणी सुणी जगवंतनी, हैए हर्ष न माय ॥ जाती स्मरणथी लघुं, पूरव जव राय ॥ ॥ कर्म० ॥ १३ ॥ कहे हवे चारित्र यादरुं, ह रिचंद भूपाल ॥ कनकसुंदर मुनि वीनवे, चोथी ढाल रसाल ॥ कर्म० ॥ १४ ॥ हवे हरिचंद वी घरे, रोहिताश्वने राज ॥ देईने उत्सुक थयो, चारित्र लेवा काज ॥ कर्म० ॥ १५ ॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ रसीयाना गीतनी ॥ श्री जव द्याय बहुश्रुत नमो नावशुं ॥ ए देशी ॥ ॥ हरिचंद श्राव्यो रे मंदिर आपणे, कुमरने सोंप्यो रे राज ॥ मुनीसर ॥ दान देने तव चारि त्र लीयो, धन दिन माहारो रे खाज ॥ मु० ॥ १ ॥ वडो रे वैरागी हरिचंद वंदीयें, धन धन करणीरे तास ॥ मुनि० ॥ सत्यवंत संयमधारी निर्मलो, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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