Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(ए१) धमधमता धखराल रे,तेहि जंबूमनो,अनि कडाह मांहे धसे ए॥तिणे वेला तत्कालरे,बूम न बापडो, सोवन पुरिसो उपनो ए ॥ १४ ॥ ए ए श्री हरि चंदरे, तापस श्म कहे, धन्य धन्य सत्य राजा तणोए ॥दीधो फुःख अनंत रे,ए चूके नही,शील सत्य साहस घणुं ए ॥१५॥ संरोहणीतत्काल रे, श्राणी औषधी, सऊ कस्यो लेपन करी ए॥ अंगोपांग सुचंगरे, नवपद्धव थयां, सुर पहोता अमरा पुरी ए ॥ १६ ॥ पुण्य तणे परिमाण रे, पुरिसो सोवन तणो, सिद्ध थयो, हरिचंदनो ए॥ सत्य दाख्यो हरिचंदरे, सुरपति आग,श्री हरिचंद नरिंदनो ए ॥१७॥ाठमी ढाल रसा लरे, कनकसुंदर कहे, सुणतां मन आनंद घणो ए ॥सुणजो सकल सुजाणरे, हवे आगल वली. सरस संबंध सोहामणो ए ॥ १७ ॥
॥दोहा॥ ॥ हवे हरिचंद महीपति,पुरिसो राखी प्रस न ॥ बेगे जाइ मसाणमें, प्रह उगमतें प्रयत्न
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114