Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(६७) नासी जाय, जाणहार तिके न रहाय ॥ पुत्री करी विप्रेमानी, ते साच वचने वींधाणी ॥ १४ ॥ आश्वास घणो वलि दीधो, राणी मनहाथें लीधो॥ जावड गड कमलदिणंद, सुरतरु जेम सुगुरु सु रिंद ॥१५॥ मुनिरत्न नमुं उवकाय, जिणे दीधो अंग उपाय ॥ पादांबुज तास पसाय, कहे कनक सुंदर मुनिराय ॥१६॥ इतिश्री हरिचंद तारालो चनीचरित्रे सत्यशीलाधिकारे स्त्रीपुत्र विक्रय क रण सत्यशील सुदृढ करण नवरस वर्णने चतु रसे वर्णननामो तृतीयः खंमः संपूर्णः ॥३॥
॥ अथ चतुर्थखंडः प्रारन्यते॥ ॥ ढाल पहेली ॥ चोपाश्नी ॥ रागमारू ॥
॥ चोथे खंग प्रणमुंए चार, गुरु गणपतिरवि ब्रह्म कुमार ॥ सरस चरित्र कहीश उपगार, श्री हरिचंद तणो अधिकार ॥१॥ हवे अयोध्यो नगरी तिहां, दिव्य रूप तापस बे तिहां ॥ पूरव
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114