Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 89
________________ ( 9 ) अ ॥ ढाल सातमी ॥राग केदारो ॥ जुंबखडानी देशी ॥ ॥ माले बांध्यो वलवले रे, सुंदर बालक एक ॥ मरुं रे मातजी ॥ शूरवीर कोइ साहसी रे, बे को ई सुविवेक ॥ मरुं० ॥ १ ॥ सातदिवस परण्या थयां रे, सुख दीठो नहिं कोइ ॥ मरुं० ॥ एकज पुत्र मा वित्रनो रे, अवर न दूजो होइ ॥ मरुं० ॥ ॥ २ ॥ राजपाटनो हुं धणी रे, काशीधरनो पुत्त ॥ मरुं० ॥ सूतो आयो सेजथी रे, भूत जस्म वधूत ॥ मरुं० ॥ ३ ॥ तेल कढाइ उकले रे, हो म करशे ए मुज ॥ मरुं० ॥ मरण सही इहां श्र वियो रे, किणशुं कीजें गुह्य ॥ मरुं० ॥ ४ ॥ रा जा हरिचंद चिंतवे रे, एह करूं उपकार ॥ मरुं० एह संकटथी बोडवुं रे, सुंदर राजकुमार ॥ मरुं० ॥ ५ ॥ वृक्ष चढ्यो ते साहसी रे, बंधन बोड्या तास ॥ मरुं० ॥ प बंधायो नूपति रे, तिऐ स्थानक दृढ पास ॥ मरुं० ॥ ६ ॥ रंज्यो कुमर घ रें गयो रे, जाइ मध्यो मावित्र ॥ मरुं० ॥ सबल कष्टथी उगस्यो रे, वात कही सुविनीत || मरुं० For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

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