Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(७) ॥७॥ काशीधर पूजे कहो रे, बेटा निज अधि कार ॥ मरुं०॥ कोण उपकारी एहवो रे, जिणे कीधो उपकार ॥ मरुंग ॥ ॥ धन्य जन्म जग तेहनो रे,धन पिता धन मात ॥ मरुं० ॥ पुरुष र तन जग जाणीयें रे, वसुधा मांहे विख्यात ॥ ॥ मरुं० ॥ ए॥ जे सेवक चांमालनुं रे, हरियो नाम कहाय ॥ मरुंग ॥ तिणे मुजने तिहां थकी रे, बोड्यो कस्यो उपकार ॥ मरुंग ॥१॥ सातमी ढाल सोहामणी रे, राग जलो केदार ॥ मरुं० ॥ कनकसुंदर कहे सांजलो रे, सरस कथा सुवि चार ॥ मरुं० ॥११॥
॥दोहा॥ ॥ण अवसर थाव्यो तिहां,जोगी ते अवधूत ॥दीसे अतिही बिहामणो,जस्म जयंकर नूत॥१॥ ॥ ढाल आग्मी ॥ राग गोडी ॥ बे कर जोडी ___ ताम रे, नसा वीनवे ॥ ए देशी ॥
॥ श्राव्यो ते यमदूत रे, नूत जयंकर,दीसे अ तिही बिहामणो ए॥ महोटा दांत मुदत रे,
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