Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 82
________________ ( ८० ) राजा मन अचरज थयुं, राजा इस्यो श्रचंनो देख ॥ धन० ॥ ५ ॥ राय कहे दीसे नहीं, राजा मंत्रवादी ते कोइ ॥ सजा सकल संशय पडी, राजा हमणा दूता सोइ ॥ धन० ॥ ६ ॥ वली सुक पंखी वनवे, राजा जो ए सती संसार ॥ करडी धीजज ढुं करूं, राजा जलती जलण मकार ॥ धन० ॥ ॥ ७ ॥ राजा मन कौतुक थयुं, राजा जल ज लता अंगार ॥ अग्नि जगावी खेरनो, राजा ज्वाला नल जयंकार ॥ धन० ॥ ८ ॥ रवि सामो उनो रही, राजा पंखी बोले एम ॥ जो ए मा किए बेइ हां, राजा तो हुं होजो जस्म ॥ धन० ॥९॥ सती सुतारा लोचनी, राजा ए हरिचंदनी नार ॥ शील वंत गयगामिणी, राजा तो मुऊने जयकार ॥ ॥ धन० ॥ १० ॥ त्यारें तारालोचनी, राजा शुक सुंदर बोली एम ॥ शुडा सुगुरु पंखीया, राजा तु जने होजो देम ॥ धन० ॥ ११ ॥ श्रर्थ देइ चित्र जानुने, राजा ध्यान धरी नवकार ॥ श्ररिहंत देव राधतो, शुडा जिनशासन जयकार ॥धन० ॥ १२॥ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

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