Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 81
________________ (ए) यर पुरिसेह ॥ काने कुंमल रयण मय, नयणे काजल रेह ॥ ७ ॥ शूरा ने सत्यवादीया, धीरा एक मनाह ॥दैव करे तस चिंतडी, वांछित फलशे त्यांह ॥ ए॥ ॥ ढाल चोथी ॥ राग केदारो ॥ हांजा ___ मारूना गीतनी देशी ॥ ॥ वेची तारालोचनी, राजा वेच्यो राज कुमा र ॥ वेच्यां मंदिर मालियां, राजा राज्य शशिनं मार ॥ धन सत्य धारीरे, भूपति शील समो नहीं कोय ॥१॥ धन ॥ ए आंकणी ॥ सत्य अखं मित नूपति, राजा श्ण विध रहे उदास॥हुँ मंत्रि हरिचंदनो, राजा सुण नूपतिसुविलास ॥धन॥ ॥२॥णे मुज तापस पापीए, राजा कीधो प हेलो कीर ॥ तिण कारण तुमने कह्यो,राजा ए वृ त्तांत्त गुण हीर॥धन॥३॥कर्म रूलावे जीवने, राजा आपे पुःख अनंत ॥ पूर्व जवनां जे कीयां, राजा पुष्कृत कर्म पुरंत ॥ धन ॥४॥ तापस पण नासी गया, राजा सुणी शुक वचन सुरेख ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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