Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 85
________________ (३) ॥कर्मः॥१०॥पांचमी ढाल राग परजीयो रे,कन कसुंदरमुनि राय रे॥जपे यश कर जोडीने रे, धन धन हरिचंद राय रे ॥ कर्म० ११ ॥ ॥दोहा॥ ॥ एक दिवस रजनी समे, नदी तीर हरिचंद॥ बेठो राखे साहसी, मृतक मसाण नरिंद ॥१॥ नारी रोती वल वले, श्रवण सुण्यो वड वीर ॥ कुण रोवे किण कारणे, जव्यो साहस धीर ॥२॥ सती सुतारा लोचनी, पुत्र मरण विषवाद ॥ मृ तक ले श्रावी तिहां, रोवे लांबे साद ॥३॥ आधी रातें आरडे, अबला विषमे ग्राम ॥ जीणे खर रोवे घj, लश् लश् सुतनुं नाम ॥४॥ ॥ ढाल बही ॥ राग मल्हार ॥ सांझ साचलो हो ॥ अथवा देखो गति देवनी रे ॥ ए देशी ॥ ॥ रयण उमाड्युं माहरो रे, दया न कीधी रे दैव ॥ अबला फुःख सबले पडी रे, उडी न जा ये रे जीव ॥१॥ कुमर सुलक्षणा हो, मुख बोलो रोहिताश्व,विषमीवेलानंदनारे,कीधी माता निरा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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