Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 71
________________ (६५) वैर रायशुं रोष, दाखे बल बल मन धरि शोष ॥॥ तो पण सत्यवादी नूपाल, नाम गम कुख गोपवि काल ॥अकल अबीह थको अणजीत, सत्त न खंभे राय वदीत ॥३॥ तापस मनमांहे चिंतवे, एक सबल बल करवो हवे ॥ तिणे बले अमग रहे जो एह, तोसत्यवंत नहि संदेह ॥४॥ श्लोकः राज्यं दत्तं धनं दत्तं,सत्यं शीलं नखं मितं॥ हरिश्चंउसमो त्यागी, न नूतो न भविष्यति ॥५॥ चोपाय॥ मुखक नासे देखी मंजार, नकुल देखी नासे विषधार ॥ सिंह देखी मृग नासे जेम, श्वा न देखी हुड कंपे तेम ॥६॥ देखी सीचाणो उडे चर्ड, तिम एहनो सत्त न रहे घडं। ॥ अमरूठे अविहड सत्त रहे, तो सुरपति न्याही गुण कहे ॥७॥ जोशुं एहना सत्यनी वात, वली खेलशुंब हु परें घात ॥ एम सबल छुःख देवा नणी, 3 ष्ट बुद्धि कीधी मन तणी ॥॥ चोथा खंमनी प हेली ढाल, सुंदर मारू राग रसाल ॥ कनकसुंद र कहे एह वृत्तांत, सत्य न चूके ए सत्यवंत ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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