Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 53
________________ (५१) लाल, केही केही की जे रीव रे ॥ ४ ॥ चं० ॥ वा लही विरंगी रंगी में तजी रे लाल, मन विलखाणी नारी रे ॥ चं० ॥ समय प्रमाण कीयो सती रे लाल, बहु दुःख हीया मऊार रे ॥ ५ ॥ चं० ॥ पति जति महोटी सती रे लाल, शीलवती मन शुद्ध रे ॥ चं० ॥ हरिणाक्षी पर हब हुइ रे लाल, मोहन वेलि मन शुद्ध रे ॥ ६ ॥ चं० ॥ ऊर नि शासा मूकती रे लाल, हियडे विरह प्रकाश रे ॥ ॥ चं० ॥ बहुं दुःखें नूपति पूरियो रे लाल, नयणे पावस मास रे ॥ ७ ॥ चं० ॥ ग्रथिल पणे गीत गावतो रे लाल, करता निकरणां नीर रे ॥ चं० ॥ चंद्र प्रतें संदेशडो रे लाल, दाखे दाखे दुःख अ पार रे ॥ ८ ॥ चं० ॥ चंदे मानी वीनती रे लाल, जश्ने को हित जाणि रे ॥ चं० ॥ यांख फरुकने अंतरे रे लाल, पाठा दीधा आणि रे ॥ ए ॥ चं० ॥ सुण राजा कहे चंद्रमा रे लाल, संदेशा सुविचार रे ॥ चं० ॥ पटराणीयें तुजने कह्या रे लाल, रोति रोति अबला नार रे ॥ १० ॥ चं० ॥ सुंदरि सं www.jainelibrary.org Jain Educationa International For Personal and Private Use Only

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