Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 60
________________ (५७) हो ॥५॥ वा ॥ एकदिन मोकुं सोहता, सिर बत्र धरंता हो ॥ शूरसुजट आगे खडां, कर जोडी रहंता हो ॥६॥ वा०॥ एक दिन आज इस्या नया, शिर धूणंता हो ॥ आगें मृतक बिहा मणां, पहिरा ते दीयंता हो ॥ ७॥ वा० ॥ एक दिन मोकुं सोहता, नीसाण घुरंतां हो ॥ चिहुं दिशे चंड मनोहरु, वर चमर ढलंतां हो ॥॥ ॥वा॥ एक दिन आज इस्या बण्या, नूति का हुली वाजे हो ॥ जे किरतार स्वयं करे, ते स घलो बाजे हो ॥ ए ॥ वा ॥ सुख फुःख सही ए आपणा, अनेरासुं न कीजें हो ॥ दे परमे श्वर सींगतो, ते साँग सहीजें हो ॥१०॥वा॥ ढाल कही नवमी नली, मारुणी रागें हो ॥ क नकसुंदर मुनीश्वरें, ए विरचि वैरागें हो ॥१५॥ ॥दोहा॥ ॥ श्म विरहातुर नूपति, रहतो एहवी ना ति ॥ एकवार मलवा तणी, पटराणीशुं खांति ॥ ॥१॥ परघर जाश् शके नही, राणी न शके Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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