Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 56
________________ (५४) दूहव्यो राणो जिम तडके. लघु बालक देखिने नडके ॥ माखी दीले करे गुंजार, कूतरा चितरा श्रावे लारं ॥३॥ पाप करेजे अति असुहातां, उढण वस्त्र रूधीरें रातां ॥ अति पुरगंध उबाले अंबर, दीगो श्रीहरिचंद नरेसर ॥४॥ कहे चं माल सांजल हुं नाखू, रही शके तो तुने हुँ राखं॥ मृतक तणा खापण नित ग्रहणा, आधी रात म साणमें रहेणां ॥ ५॥ मुझ घरका नित वहणा पाणी, रहेगा तो रहो श्म जाण ॥ मानी वात घरे देश आयो, उत्पति चोथो नाग लिखायो॥ ॥६॥ काज अकाज करे जगजाणे, घर चंगाल तणे जल आणे ॥ राते मसाण सदा रखवाले, आपणो सत्य किमें नवि टाले ॥७॥ कोरा अन्न तणो आहार, स्नान करिने जिमे एक वार ॥ कु ल रीत किमे नवि मूके, सत्य शील साहस नवि चूके ॥ ७॥ आराधे जगवंत वीतराग, मनमांहे राखे वैराग ॥ ए संसार असार अपार, उःख अ नेक तणो नंमार ॥ ए ॥ कर्म प्रमाणे सुर नर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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