Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
( ४५ )
रिचंद राजा उठि बेठो थयो, धन विष रह्यो विलाय ॥ १० ॥ ना० ॥ जोवा लाग्यो नारि नजर जरी, रोवा लाग्यो ताम ॥ कहेवा लागी तारालोचनी, सुपीयु श्रातम राम ॥ ११ ॥ ना० ॥ धीर धरो पीयु डा साहस धरो न करो विरह विलाप | लिखियो विधाता बही रातनो, सुख दुःख सदेशो याप ॥ ॥ १२ ॥ ना० ॥ सांजल कंता को केहनो नहीं, ए संसार असार ॥ नाम संजारो श्री जगवंतनुं, जवो दधि तारणहार ॥ १३ ॥ ना० ॥ जेम सरजे बे तिम प्रभु थायसी, सुख, दुःख राज नमार ॥ लिख्यो लेख शिर कुण टालि शके, जे सरज्यो किरतार ॥ ॥ १४ ॥ ना० ॥ ढाल वैरागनी कही ए पांचमी, राणी पे धीर ॥ राग धन्याश्री कनकसुंदर कहे, राजा साहस धीर ॥ १५ ॥ ना० ॥ ॥ दोहा ॥
॥ बेटो मातने वीनवे, हुं श्रावश तुम साथ ॥ वली देवरावो दश सहस्स, मोहर पिताने हाथ ॥ १ ॥ वचन सुणी बालक तणां, करुणा मनमें प्राण ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114