Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ (४६) बाल वीबहो मातने, हुँ किम करुं सुजाण ॥२॥ ॥ ढाल बही॥रागसारंग मल्हार॥ देखो गति दैवनी रे॥ ए देशी॥ ॥ हवे ते ब्राह्मण वीनवे रे, इणिपरे वचन वि चार ॥ ले हुँ देखें तुऊने रे, दश सहस दीनार ॥ ॥१॥ हैहै गति हरिचंदनी रे, कर्मविटंबण हा र॥ है ॥ एकणी ॥ वेच्यो पुत्र महीपति रे, रमऊमतो रोहिताश्व ॥ पटराणी जोती रही रे, वालम लील विलास ॥२॥ है ॥ चाल्यो बा जण चोपशुं रे, चाख्यो राजकुमार ॥ चाली ता रालोचनी रे, राजाको जीउ लार ॥३॥ है ॥ हीयो न फूटे वज्रनो रे, आज न बेटे काय ॥ प्राण न बूटे पापीयो रे, मुफ तन मन ले जाय ॥४॥ है०॥ यतः॥ मुफ हीयडो अतिहे नितुर, प्यारी तणे विडोह ॥ फाटी शत खंम होवतो, तो हुँ जाणत मोह ॥ १॥ पाणी तणा प्रवाह, आंखे दीसे श्रावणा॥ जाणत हेज हीयाह, लो ही श्रावत लोयणे॥२॥ढाल पूर्वली॥दीशें फिरि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114