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रिचंद राजा उठि बेठो थयो, धन विष रह्यो विलाय ॥ १० ॥ ना० ॥ जोवा लाग्यो नारि नजर जरी, रोवा लाग्यो ताम ॥ कहेवा लागी तारालोचनी, सुपीयु श्रातम राम ॥ ११ ॥ ना० ॥ धीर धरो पीयु डा साहस धरो न करो विरह विलाप | लिखियो विधाता बही रातनो, सुख दुःख सदेशो याप ॥ ॥ १२ ॥ ना० ॥ सांजल कंता को केहनो नहीं, ए संसार असार ॥ नाम संजारो श्री जगवंतनुं, जवो दधि तारणहार ॥ १३ ॥ ना० ॥ जेम सरजे बे तिम प्रभु थायसी, सुख, दुःख राज नमार ॥ लिख्यो लेख शिर कुण टालि शके, जे सरज्यो किरतार ॥ ॥ १४ ॥ ना० ॥ ढाल वैरागनी कही ए पांचमी, राणी पे धीर ॥ राग धन्याश्री कनकसुंदर कहे, राजा साहस धीर ॥ १५ ॥ ना० ॥ ॥ दोहा ॥
॥ बेटो मातने वीनवे, हुं श्रावश तुम साथ ॥ वली देवरावो दश सहस्स, मोहर पिताने हाथ ॥ १ ॥ वचन सुणी बालक तणां, करुणा मनमें प्राण ॥
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