Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 43
________________ (४१) जाम ॥ मेरेजीउरा ॥ हिवे मोकुं किस्या जीवणा रे ह, कर्म कमाया काम ॥१॥ मे ॥ सत्य गयो तब क्या रह्यो रे हां, प्राणगयां परमाण ॥ मे॥ सत्य न चूकुं आपणो रे हां, तो जीव्यु उनियां न ॥२॥ मे ॥ अवधि करी एक मासनी रेहां पख वोलायो एक ॥ मे ॥ लाख मोहर किम संपजे रे हां, टलती दे टेक ॥३॥ मे ॥न रि आवे बातीनरी रेहां, सेतो श्वास प्रकास ॥ मे ॥ बहु पुःखे पूस्यो नूपति रेहां, नयणे पा वस मास ॥४॥ मे० ॥ धूजे नृप धरणी ढले रेहां, खिण खिण होत अचेत ॥ मे ॥ शीतल वाय ऊकोलती रे हां, सुंदरि करत सचेत ॥५॥ मे ॥ नारि सुतारालोचनी रेहां, आंसु बूहे चीर ॥ मे ॥ कां रो वालमा रेहां, साहि ब साहस धीर ॥ ६ ॥ मे ॥ सुण प्रीतम प्राणेसरू रेहां, अरज हमारी एक ॥ मे ॥ मुज वेची दमडा जरो रेहां, उनी राखो टेक ॥ ७॥ मे ॥ सत्य राखो पीयु आपणो रेहां, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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