Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 41
________________ (३५) जी रे के॥ नि॥पटराणी ततकालके, मनमा उ खजी रे के ॥म॥४॥राज कि सब बोडीके, वनमें क्युं रह्या रे के ॥व०॥उजड वेडि मकार के, बेसी क्युं रह्या रे के बे॥कर्म तणी गती मात के, मामीने कही रे के ॥ मांग ॥रोवा लागी ताम के, मोसी लहबही रे के ॥ मो० ॥ ५॥ दुःख म करजो पुत्र के, सहु थाशे नलो रे के ॥ स॥ जोगवशो कृतकर्मके, हजीय डे केटर्बु रे के ॥ 5 ॥रोवे क्यं रोहिताश्वके, बेटो नूखीयो रे के ॥ बे ॥ मोदक जरीयो माटके, आगल मू कीयो रे के ॥ श्रा० ॥ ६ ॥ बालक ते सुकमाल के, गाढो रंजीयो रे के ॥गा०॥ देवी थर अंत रिक्षके, फुःख तस नंजीयो रे के ॥०॥ त्रीजी ढाल रसाल के, कनकसुंदर कहे रे के ॥ क० ॥ सांजली चतुर सुजाणके, मनमें गहगहे रे के ॥७॥ ॥दोहा॥ ॥ सान्निध्य शासन देवता, एम,कीधिणिवार॥ राजा राणी चालियां, तिहां थकी तिणिवार॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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