Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 31
________________ ( ए) वदात ॥१॥ पुत्र विडोहो मातनो, नारि वि बोहो कंत ॥ अघ अघोर ए किम मिटे, जां शशि सूर तपंत ॥२॥ तव तापस कोपे चढ्यो, कुं तल कीधो शीयाल ॥ वडवडतो रणमें गयो, चित्त चमक्यो नूपाल ॥३॥ ॥ ढा सातमी॥राग आशावरी सिंधु ॥ प्रणमीपास जिणंद परधान ए देशी ॥ ॥रायकहे सांजल ऋषिराया,राज रमणी राणी धन माया ॥राखो जे तुम आवे दाया, कांहि कीजे कोप कसाया ॥१॥ नारि सुतारा शी लवंती, माहरे मन मानेती महंती ॥ ब्राह्मी उ पम अधिक लहंति, कूड कपट न को कहंती ॥ ॥२॥ सूरज पश्चिम दिशिजो ऊगे, पांगलो मेरु शिखरने पूगे॥ महा उदधि मरजादा मूके, सति सुतारा शील न चूके ॥३॥गिरि शिर कमल तणो वन होश, माखण काढे नीर विलो ॥ पाणी मांहे अग्नि जो लागे, सती तणुं व्रत किमही न जागे ॥ ४॥ मेरु शिखर धू चले कदापि, खर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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