Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 32
________________ (३०) बोले षटराग आलापी॥ दमावंत मुनिवर पण कोपे, नारि सुतारा शील न लोपे ॥ ५ ॥ जैसी कोमल कांब कणेरी, जैसी कुंपल पीपल केरी॥ जैसी मीणनी पुतली जाणो, तैसी कोमल नारि वखाणो ॥६॥ ए नारी मुख बोली न जाणे, ए नारी मन गर्व नाणे ॥ ए नारी मन मत्सर नांही, दयावंत ए जे मन मांही ॥॥ ए हने में न दीयोरे कारो, सुपनेही न कह्यो जी कारो ॥ वचन कगेर न में बोला, रीसाणी दण मांहें मना॥७॥ एहने मुनिवर गाल म देजो, धर्म सुता ते करिने खेजो॥रांधण इंधण काम म देजो, शीलतणा एहना गुण खेजो ए॥ ए मुज जीवन सम जाणेजो, एहने कठिन वचन मत कहेजो॥ ए पासें म अणावशो पाणी, अति सुकमाल आडे ए राणी ॥१०॥ रोहीताश्वसुंध रजो रंग, नणशे पंमित चेला संग॥वांबित मीग मोदक देशो, बालक आपणुं करि जाणेजो ॥ ॥ ११ ॥ टाकर कांव पाटु मत मारो, जेमारे ते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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