Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(२७) मरीजालं ॥ वारि सहस हुँ वारणा रे, नहीं तुम मीणे नाम ॥ ११ ॥ २० ॥ हुं नहीं बोडं साहि बा रे, चरण कमल तुम वास ॥ सन्मुख जुवो सुं दरी रे, उनी करे अरदास ॥ १२ ॥रं ॥ चंद्र मुखी श्म वीनवे रे, वलि वति अबला बाल ॥ तन मन तारालोचनी रें, प्रियशुप्रीति रसाल ॥ ॥ १३ ॥ २० ॥ केसरि लंकी कामिनी रे, मृग नयणी मूंजाय ॥ उनीथी घर आंगणे रे, धरणी ढलि ध्रसकाय ॥१४॥२०॥ शीतल नीरे सुंदरी रे, बांटयुं सतप शरीर ॥ दासी कर रही वीज यो रे, लावे शीत समीर ॥ १५ ॥रं ॥ चंदन खेपन बावना रे, उन्नी करिय सचेत ॥ प्रीय मुख देखी पदमणी रे, नीर जरे मृगनेत्र ॥१६॥रं॥ ढाल बीजेखमें कही रे, बही सोरठ राग॥सुणतां जोगी सुख लहे रे, वैरागी वैराग ॥ १७ ॥रं॥
॥ दोहा॥ कुंतल सेवक नृप तणो, तापसने कहे वात ॥ रे पापी तापस नही, अधम तणा
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