Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 28
________________ (२६) पस कोपीयो रे, मंत्रि कस्यो शुक पंखि ॥ उ डीने गयो रे ॥ १४ ॥ मंत्रीसर उडी गयो रे, भ्रूज्यो राजा ताम॥ श्रागल बोढुं नहीं रे, दीगं एहनां काम ॥ १५॥ दीगं एहनां काम सवाया, राज झछि रमणी धन माया ॥राखो मुनि वरजे मन नाया ॥ कनकसुंदर एह वचन सुणाया, जी राजेसर जी रे ॥ १६ ॥ ॥दोहा॥ ॥ तापस जावा दे नही, राणी रहे न लगार॥ विलवंती श्म वीनवे, सुणहो प्राण आधार ॥१॥ ॥ढाल ही॥राग सोरठी ॥ पीयारे हो वालेसर रामजी ॥ ए देशी॥ ॥वीनवे तारा लोचनीरे. सांजल प्राण पी यार॥ विण अवगुण मुज वालहारे, कांश बोडो निरधार ॥१॥ रंगीला हो राजिंद हरिचंदजी, निरधारीहो वालेसर क्युं तजी॥बोडि न जाये हो. नितुर न थाये हो, दिलतो सूरजी ॥२॥रं॥ ए आंकणी ॥तुंमुज जीवन जीवनो जी, तुं ही Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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