Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१२) सोहस चूके नही, तेहने केश् चिंत हो ॥४॥ ॥जी॥त्रीजी ढाल सोहामणी, राग सारंग म
हार हो॥प्री०॥ कनकसुंदर नृप धीर दे, राणी निज जरतार हो॥प्री० ॥५॥
॥दोहा॥ ॥ तापस श्राव्यो एटले राजजवन तिणि वार ॥रे रे पापी माहरा, दे तुं लाख दिनार ॥ ॥१॥रायें मंत्रीश्वर तेडियो,बोल्यो एहवी ना ख ॥ काढो धन नंमारथी, आपो एहने लाख ॥ ॥२॥ तापस त्रटकी बोलीयो, रिछि अमारी एह ॥ए माहेशू ताहरूँ, तुं मुझ श्रापे जेह ॥२॥ तव राजा नगरी तणो, तेडी माहाजन पास ॥ बेकर जोडी वीनवे, हरिश्चं वचन विकास॥४॥ ॥ ढाल चोथी॥राग सिंधु ॥ चरणाली
चामुमारण चढे ॥ए देशी ॥ ॥माहाजनगुंराजा वीनवे, वचन सुणो सुवि चारो रे ॥ में तुमने कदि दूहव्या, तो दाखो इणि वारो रे॥ामा॥हो में तो दाणदंग कीयो नही,
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