________________
7 गीता दर्शन भाग - 3 >
सारे शरीर के खून की गति को सिर की तरफ भेज रहा है। अभी जितना आपका मस्तिष्क काम कर रहा है, वैज्ञानिक कहते हैं कि सिर्फ एक चौथाई मस्तिष्क काम करता है, तीन चौथाई बंद पड़ा हुआ है, स्टैगनेंट, वह कभी कोई काम नहीं करता। खून की तीव्र चोट से वह जो नहीं काम करने वाला मस्तिष्क का हिस्सा है, सक्रिय किया जा सकता है। क्योंकि यह हिस्सा भी खून की चोट से ही सक्रिय होता है। खून का धक्का आपके मस्तिष्क के बंद सिलेंडर को गतिमान कर देता है।
मस्तिष्क के वे हिस्से सक्रिय हो जाएं, जो मौन चुपचाप पड़े हैं, तो आपकी समझ और आपके विवेक में आमूल अंतर पड़ जाते हैं- आमूल अंतर पड़ जाते हैं। आप नए ढंग से सोचना और नए ढंग से देखना शुरू कर देते हैं। नए ढंग से, एक नई दृष्टि, और एक नया द्वार, न्यू परसेप्शन, डोर्स आफ न्यू परसेप्शन, प्रत्यक्षीकरण के नए द्वार आपके भीतर खुलने शुरू हो जाते हैं।
मैंने उदाहरण के लिए कहा। इस तरह के शरीर में बहुत-से चक्र हैं। इन प्रत्येक चक्र में छिपी हुई अपनी विशेष ऊर्जा है, जिसका विशेष उपयोग किया जा सकता है। योगासन उन सब चक्रों में सोई हुई शक्ति को जगाने का प्रयोग है।
योग के द्वारा शरीर एक डायनेमिक फोर्स, एक बहुत जीवंत ऊर्जा की जीती-जागती, साकार प्रतिमा बन जाता है। इस शक्ति के पंखों पर चढ़कर अंतर्यात्रा हो सकती है। अन्यथा अंतर्यात्रा अत्यंत कठिन है। वह प्रभु का जो स्मरण है, तभी हो सकता है।
तो पहला तो योग का विशेष अभ्यास है, वह है, शक्ति के सोए हुए स्रोतों को सजीव करना, जाग्रत करना, पुनर्जीवित करना ।
बहुत स्रोत हैं। कभी-कभी अचानक घटनाएं घटती हैं, तब लोगों को पता चलता है। अभी स्विटजरलैंड में एक आदमी एक ट्रेन से गिर पड़ा था। चोट लगी बहुत जोर से उसके कानों को। जब वह अस्पताल में भर्ती किया गया, तो पाया गया कि दस मील के भीतर जो भी रेडियो स्टेशन हैं, उसके कान ने, उन रेडियो स्टेशंस को पकड़ना शुरू कर दिया। बड़ी हैरानी हुई। कभी सोचा न था कि कान के पास यह क्षमता हो सकती है कि रेडियो स्टेशन को सीधा पकड़ ले, बीच में रेडियो की जरूरत न रहे !
लेकिन योग सदा से कहता है कि कान के पास ऐसी क्षमता छिपी पड़ी है, सिर्फ उसे सजग करने की बात है। यह भूल-चूक से हो गया, एक्सिडेंटल, कि आदमी ट्रेन से गिरा और उस केंद्र पर चोट लग गई और शक्ति सक्रिय हो गई। योग इसे व्यवस्थित रूप से
सक्रिय करना जानता है।
उसके कुछ दिन पहले स्वीडन में एक आदमी को आंख का कुछ आपरेशन किया, और अचानक उसे दिन में आकाश के तारे दिखाई पड़ने शुरू हो गए। दिन में! आकाश में तारे तो दिन में भी होते हैं, सिर्फ सूरज की रोशनी की वजह से आपको दिखाई नहीं पड़ते। अगर आप एक गहरे कुएं में चले जाएं, गहरे अंधेरे कुएं में, तो दिन में भी आपको गहरे कुएं में से आकाश में थोड़े-से तारे दिखाई पड़ सकते हैं। लेकिन उस आदमी को तो सूरज की रोशनी में खड़े होकर तारे दिखाई पड़ने लगे। क्या हो गया ?
योग बहुत दिन से कहता है कि आंख की क्षमता बहुत है। | जितनी आप जानते हैं, उससे बहुत ज्यादा। लेकिन उसके सोए हुए शक्ति केंद्र हैं, उनको सजग करना जरूरी है। शरीर में ऐसे बहुत ऊर्जा स्रोत हैं, और योग ने सबको सक्रिय करने की प्रक्रियाएं खोजी हैं। उनका ही अभ्यास, उनका ही सतत अभ्यास व्यक्ति को परमात्मा की दिशा में सक्रिय कर पाता है, एक ।
दूसरी बात, जैसा हमारा मन है, साधारणतः हम सोचते हैं, साधारणतः हमारा खयाल है कि यह जो हमारा मन है, जैसा यह मन है, इसी मन को लेकर हम परमात्मा की तरफ चले जाएंगे, तो हम गलत सोचते हैं। इस मन को लेकर जाना असंभव है। इसी मन के कारण तो हम पदार्थ की तरफ आए हैं। यह मन हमारा पदार्थ से संबंध जोड़ने का इंतजाम है; यह परमात्मा से तोड़ने का कारण है; यह जोड़ने का कारण नहीं बन सकता है।
यह जो मन है हमारे पास, यह मन पदार्थ से जोड़ने की व्यवस्था है। इसी मन को आप परमात्मा की तरफ नहीं ले जा सकते। आपको एक नए मन को करने की जरूरत है।
और योग कहता है, वैसा नया मन पैदा किया जा सकता है। और उस नए मन को पैदा करने की भी पूरी कीमिया योग ने खोजी है कि वह नया मन कैसे पैदा हो। जैसे मैंने कहा कि शरीर की शक्ति जगाने के लिए आसन, प्राणायाम, मुद्राएं और इस तरह की सारी व्यवस्था है। हठयोग ने उस पर अपूर्व चेष्टा की है, और ऐसे राज खोज लिए हैं, जिनमें से बहुत-से राजों से अभी विज्ञान भी अपरिचित है।
जैसे विज्ञान को अभी तक खयाल नहीं था कि शरीर में खून या खून की गति वालेंटरी हो सकती है, स्वेच्छा से हो सकती है। | विज्ञान समझता है कि खून की गति नान- वालेंटरी है, स्वेच्छा के बाहर है, आप कुछ कर नहीं सकते। लेकिन हठयोग बहुत हजारों
140