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- परमात्मा की खोज >
आपको होश में लाया जाए। शरीर पर कंबल पड़ा हो। आपको भीतर | | आप अकेले थे, तो आप कुछ और थे। अब दो आदमी सड़क पर से जरा भी पता नहीं चलेगा कि पैर कट गया है, जब तक कि कंबल आ गए, तो आप कुछ और क्यों हो गए? यह कुछ और क्या है? न उठाया जाए, जब तक आप देखें न। जब तक आप चलें और गिर यह भीतर मैं का भाव खड़ा हो गया। न पड़े, तब तक आपको पता नहीं चलेगा कि पैर कट गया। क्योंकि ___ कोई आदमी आपको गाली देता है, तब जरा भीतर गौर से देखना भीतर कुछ कटता ही नहीं। तो भीतर पता कैसे चलेगा? पता तो तभी कि कोई सांप फन उठाता है, जैसे फुफकारता हो, जैसे सोए सांप चलेगा, जब बाहर प्रयोग करेंगे शरीर का और कोई कमी मालूम को चोट मार दी हो, कोई आपके भीतर उठकर खड़ा हो जाता है। पड़ेगी; तभी पता चलेगा, अन्यथा पता नहीं चलेगा।
जरा उसे गौर से देखना। जब आप सुंदर कपड़े पहनकर निकलते शरीर के हम साक्षी हो सकते हैं, विटनेस हो सकते हैं। जान | हैं सड़क पर, तब आप वही नहीं होते, जब आप दीन-हीन कपड़े सकते हैं कि यह मैं नहीं हूं। क्योंकि जिसको भी मैं देख पाता हूं, पहनकर निकलते हैं। भीतर थोड़ा-सा फर्क होता है। वह मैं नहीं हो सकता। जो भी दृश्य बन गया, वह मैं नहीं हो
| आज मैं छोटी-सी कहानी एक मित्र को लिख रहा था। लिख सकता। मैं आपको देख रहा हूं; एक बात पक्की हो गई कि वह जो रहा था कि एक हाथी ने एक दिन एक चहे को देखा। चहे जैसा आप वहां बैठे हुए हैं, वह मैं नहीं हूं। अन्यथा मैं आपको देख न | छोटा प्राणी हाथी ने कभी देखा नहीं था। इसलिए नहीं कि छोटे पाता। देखने के लिए दूरी चाहिए; परसेप्शन के लिए पर्सपेक्टिव | प्राणी नहीं हैं, बाकी हाथी जैसे प्राणी को कहां ये छोटे-छोटे प्राणी चाहिए, फासला चाहिए, नहीं तो मैं देख न पाऊंगा आपको। । | दिखाई पड़ें! चूहे को एक दिन देख लिया; ऐसे ही फुर्सत में रहा
आपको देख पाता हूं, क्योंकि मैं अलग हूं। दूर खड़ा हूं। मैं | होगा, विश्राम में रहा होगा। चूहे को देखकर बड़ा हैरान हुआ। उसने अपने शरीर को भी देख पाता हूं। आप बच्चे थे, तब भी अपने | | कहा कि तुझसे क्षुद्र प्राणी मैंने अपने जीवन में नहीं देखा! बड़ी शरीर को देखा। जवान हो गए, तब भी अपने शरीर को देखा। फिर अकड़ से कहा कि तुझसे क्षुद्र प्राणी मैंने कभी नहीं देखा। क्षुद्रतम भी आपको खयाल न आया कि शरीर तो बिलकुल बदल गया है, | है तू। लेकिन आप? आप तो वही के वही हैं! आपके भीतर कुछ भी नहीं । चूहे ने पता है क्या कहा? चूहे ने ऊपर हाथी को देखा और कहा, बदला, रत्तीभर। आप बूढ़े भी हो जाएंगे, तब भी आपके भीतर माफ करें। ऐसा मैं सदा नहीं होता। जरा मेरी तबियत खराब थी। आप वही होंगे, जो बच्चे थे तब थे। भीतर, वह जो चेतना है, वह यह मेरा सदा का रूप नहीं है। आई हैव बीन सिक। यह मेरी सदा अछूती गुजर जाती है।
की स्थिति नहीं है। जरा मैं बीमार पड़ गया था। शरीर मैं नहीं है, यह हम शरीर के साक्षी होकर जान सकते हैं। हाथी का होगा अहंकार. तो चहे का भी है। वह भी अपने फिर हम विचारों के भी साक्षी हो सकते हैं। आप भीतर देख सकते | | अहंकार को बचाने की कोशिश करेगा। हम सब कर रहे हैं। फर्क हैं कि यह क्रोध चल रहा है। आप भीतर देख सकते हैं, यह लोभ | कुछ भी नहीं है। वही चूहे वाली बुद्धि है। इसको थोड़ा अगर सरक रहा है। आप भीतर देख सकते हैं कि यह काम यात्रा कर | जागकर देखते रहेंगे कि कब-कब खड़ा होता है ! जब कोई आपसे रहा है।
कहता है कि अरे...। तब कई बार आपका मन भी ऐसा होता है न विचार को आप देख सकते हैं वैसे ही, अपने भीतर के पर्दे पर, | कहने का, कि यह मेरी सदा की हालत नहीं है, मैं जरा बीमार रहा! जैसे आप फिल्म को देखते हैं। उसके भी आप साक्षी हो सकते हैं। वह जो भीतर मैं है, उसको जरा जागकर खोजते रहेंगे कि वह तो फिर आप उससे भी अलग हो गए। कठिनाई थोड़ी-सी पड़ेगी| कहां-कहां खड़ा होता है, तो जल्दी आपकी उससे मुलाकात होने मैं को देखने में, क्योंकि वह सूक्ष्मतम है और हम उससे | | लगेगी; जगह-जगह मुलाकात होगी। आईने के सामने खड़े होंगे, आइडेंटिफाइड हैं।
तो शक्ल कम दिखाई पड़ेगी, अहंकार ज्यादा दिखाई पड़ेगा। किसी लेकिन मैं को भी आप देख सकते हैं। जब आप सड़क पर चलते | से हाथ मिलाएंगे, तो आप कम मिलते हुए मालूम पड़ेंगे, अहंकार हैं; एकांत सड़क; कोई भी नहीं है। फिर अचानक दो आदमी सड़क | | ज्यादा मिलता हुआ मालूम पड़ेगा। किसी से बात करेंगे, तो आप पर निकलते हैं, तब आपने खयाल किया है कि कोई सांप आपके संवाद करते हुए नहीं मालूम पड़ेंगे, अहंकार भीतर खड़ा हुआ भीतर सरककर फन उठा लेता है। उसे जरा गौर से देखना। जब मालूम पड़ेगा।
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