Book Title: Gita Darshan Part 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 458
________________ 4 गीता दर्शन भाग-3 - अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम्। है। अभी जो लगता है जरूरी, वह मांग लेते हैं। देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि ।। २३ ।। । बुद्धिमान वही है, जो जीवन की परम आवश्यकता को मांगता है। परंतु उन अल्पबुद्धि वालों का वह फल नाशवान है तथा वे सुनी है हम सबने कथा, बहुत प्यारी और मधुर है। नचिकेता देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे अपने पिता के पास बैठा है। पिता ने किया है बड़ा यज्ञ। ब्राह्मणों भक्त मेरे को ही प्राप्त होते हैं। को दान कर रहे हैं वे। पिता ने नचिकेता से कहा है, मैं अपना सब दान कर दूंगा। छोटा बच्चा है, और छोटे बच्चों से कभी-कभी जो सवाल उठते हैं, वे बड़े गहरे और आत्यंतिक होते हैं। वह बैठा हुआ कामनाओं से प्रेरित होकर की गई प्रार्थनाएं जरूर ही फल | है पास में, जब ब्राह्मणों को दान दिया जा रहा है। और नचिकेता पण लाती हैं। लेकिन वे फल क्षणिक ही होने वाले हैं; वे का पिता पुरानी बूढ़ी गाएं दे रहा है, जिनसे दूध मिलने को नहीं। फल थोड़ी देर ही टिकने वाले हैं। कोई भी सुख सदा | इस तरह की चीजें दे रहा है, जिनकी अब कोई जरूरत नहीं रही। नहीं टिक सकता, न ही कोई दुख सदा टिकता है। सुख और दुख | तो नचिकेता बार-बार पछता है कि मैं भी तो आपका हं न. तो मझे लहर की तरह आते हैं और चले जाते हैं। कब दान देंगे? मुझे किसे दान देंगे? क्योंकि कहा आपने कि मैं देवताओं की पूजा से जो मिल सकता है, वह क्षणिक सुख का | अपना सब कुछ दे डालूंगा। मैं भी तुम्हारा बेटा हूं न! आभास ही हो सकता है। वासनाओं के मार्ग से कुछ और ज्यादा | पिता को क्रोध आ जाता है। वह क्रोध में कहता है कि तुझे भी पाने का उपाय ही नहीं है। दे दूंगा; घबड़ा मत। लेकिन तुझे मृत्यु को, यम को दे दूंगा। इसलिए कृष्ण कहते हैं, लेकिन जो मेरे निकट आता है-और नचिकेता, मानकर कि यम को दान कर दिया गया, यम के द्वार उनके निकट आने की शर्त है, वासनाओं को छोड़कर, विषयासक्ति पर पहुंच जाता है। लेकिन यम घर के बाहर है। तो वह तीन दिन को छोड़कर वह उसे पाता है. जो नष्ट नहीं होता. जो खोता नहीं, भूखा बैठा रहता है, फिर यम आते हैं। उसका तीन दिन भूखा बैठा जो शाश्वत है। इसलिए उन्होंने दो बातें इस सत्र में कही हैं। रहना, उस छोटे-से बच्चे का, और इतनी सरलता से मृत्यु के द्वार अल्पबुद्धि वाले लोग! पर स्वयं आ जाना! क्योंकि यम का अनुभव तो यही है कि वह अल्पबुद्धि वाले लोग कौन हैं? अल्पबुद्धि वाले लोग वे हैं, जो जिसके द्वार पर जाता है, वही घर छोड़कर भागता है। यम के द्वार कि अपने ही हाथों, बहुत बड़े मूल्य पर बहुत छोटी चीज खरीदने पर आने वाला यह पहला ही व्यक्ति है, जो खुद खोजबीन करके को राजी हो जाते हैं। बहुत बड़े मूल्य पर बहुत छोटी चीज खरीदने आया। और फिर यह देखकर कि यम घर पर नहीं है, भूखा-प्यासा को राजी हो जाते हैं। प्रार्थना से तो मिल सकता है परम सत्य, बैठा है। तो यम कहते हैं कि तू कुछ मांग ले, तू वरदान ले ले। मैं लेकिन वे मांग लेते हैं कुछ क्षुद्र वस्तुएं। प्रार्थना से मिल सकता है तुझ पर प्रसन्न हुआ हूं। मैं तुझे हाथी-घोड़े, धन-दौलत, सुंदर परम जीवन, लेकिन वे मांग लेते हैं शरीर की कुछ जरूरतें। स्त्रियां, राज्य निश्चित ही, अल्पबुद्धि हैं इस कारण। और इसलिए भी नचिकेता कहता है, लेकिन जो धन आप देंगे, उससे मुझे तृप्ति अल्पबुद्धि हैं कि जो भी वे मांगते हैं, वह मिल भी जाए, तो भी मांग मिल पाएगी, ऐसी, जो कभी नष्ट न हो? वह यम उदास होकर का कोई अंत नहीं होता। जो वे पाना चाहते हैं, पा लें, तब भी वे कहता है, ऐसी तो कोई तृप्ति धन से कभी नहीं मिलती, जो समाप्त उतने ही अतृप्त, उतने ही दीन और उतने ही अधूरे होते हैं, जितना न हो। वे जो स्त्रियां आप मुझे देंगे, उनका सौंदर्य सदा ठहरेगा? मिलने के पहले थे। यम कहता है कि कुछ भी इस जगत में सदा ठहरने वाला नहीं है। __ मांगना ही हो, तो उसे मांग लेना चाहिए, जिसे मांगकर फिर और | | वह जो आप मुझे लंबी उम्र देंगे, क्या उसके बाद फिर आप मुझे कोई मांग शेष न रह जाए। पाना ही हो, तो उसे पा लेना चाहिए, | लेने न आएंगे? तो यम कहता है, यह तो असंभव है। कितनी ही जिसे पाकर तृप्ति हो जाती है, और पाने की दौड़ समाप्त हो जाती हो लंबी उम्र, अंत में तो मैं आऊंगा ही। वह जो बड़ा राज्य आप है। लेकिन अल्पबुद्धि लोग दूर तक नहीं देख पाते। विस्तीर्ण, मुझे देंगे, क्या उसे पाकर मैं वह पा लूंगा, ऋषियों ने जो कहा है कि जीवन के पूरे पहलू को नहीं समझ पाते। क्षणिक उनकी बुद्धि होती जिसे पा लेने से सब पा लिया जाता है? यम कहता है, उससे तो 432

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