Book Title: Gita Darshan Part 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 424
________________ 4 गीता दर्शन भाग-3 को सत्संग में रख दें। है। जितना दिया है, वह इतना ज्यादा है कि उसे धन्यवाद देने की सत्संग का असर तो पड़ता ही है। निश्चित पड़ता है। लेकिन | बात है, वह बैंक्स गिविंग। किस तरफ से पड़ेगा, कहना मुश्किल है। गुरु शिष्य को ले जाएंगे लेकिन उसको धन्यवाद देने हम कभी नहीं जाते कि तने हमें स्वर्ग की तरफ, कि शिष्य गुरु को ले जाएंगे नर्क की तरफ, कहना | इतना दिया है। हम जाते हैं कहने कि क्या मारे डाल रहा है। कछ मुश्किल है! प्रभाव तो जरूर पड़ता है। भी नहीं है पास। लड़के की नौकरी नहीं लग रही। लड़की की शादी खैर, स्त्री को बात जंच गई। वह अपने नर तोते को ले आई। | नहीं हो रही। परीक्षा में फेल हुए जा रहे हैं। धंधा बिगड़ा जा रहा है। एक ही पिंजरे में दोनों को बंद कर दिया। दोनों दूर बैठ गए; देखें | | सब इस तरह की बातें लेकर हम परमात्मा के सामने जाते हैं। कि क्या चर्चा चलती है! मादा तोता थोड़ी देर चुपचाप बैठी रही; | । मूढ़ भी प्रार्थना करता है, लेकिन कृष्ण उसकी प्रार्थना को प्रार्थना नर तोता भी थोड़ी देर चुपचाप बैठा रहा। फिर उस नर तोते ने नहीं मानते। क्योंकि वह परमात्मा को नहीं भजता, वह परमात्मा के कहा, क्या खयाल है? हे डियर बेबी, व्हाट डू यू थिंक अबाउट बहाने जगत की चीजों को ही भजता है; वह जगत को ही भजता है। लविंग-प्रेम के बाबत क्या खयाल है? उस मादा तोते ने कहा, कठिनाई है। हमारा चित्त जैसा है, वह केवल सांसारिक वस्तुओं . इट इज़ ओ के किड। बिलकुल ठीक। व्हाट डू यू थिंक, आई वाज | को ही भज पाता है। कभी देखा, एक आदमी एक नई कार खरीदने प्रेइंग फार आल दीज इयर्स? क्या सोचते हो तुम, मैं प्रार्थना | | की सोचता है, तो रातभर नींद नहीं आती। करवटें बदलता है, फिर किसलिए कर रही थी इतने वर्षों से? एक तोता मिल जाए। । | कार दिखाई पड़ने लगती है। फिर करवट बदलता है, फिर कार यह प्रार्थना जो वर्षों से चल रही थी चर्च में उस मादा तोते की, | | दिखाई पड़ने लगती है। हजार रंग दिखाई पड़ते हैं, हजार ढंग वह यही प्रार्थना थी कि कहीं से एक तोता मिल जाए। चर्च का पादरी | दिखाई पड़ते हैं। महीनों सो नहीं पाता। धोखे में था। अधिक चर्चों के पादरी धोखे में है कि जो लोग प्रार्थना | यह जो चित्त है, अगर इसको आप मंदिर में ले जाएं, तो प्रार्थना करने आते हैं, वे किसलिए आ रहे हैं। | तो जरूर करेगा, लेकिन इसे दिखाई कार ही पड़ेगी। इसे कुछ और असली सवाल यह नहीं है कि आप प्रार्थना करते हो; असली | | दिखाई नहीं पड़ सकता। चित्त की भाषाएं हैं। सवाल यह है कि किसलिए करते हो। अगर परमात्मा के अतिरिक्त सुना है मैंने, एक आदमी ने एक घोड़ा खरीदा। बेचने वाले ने और कोई भी मांग बीच में है, तो वह प्रार्थना परमात्मा की प्रार्थना बहुत दाम बताए। आदमी ने पूछा, इतने दाम की बात क्या है? नहीं है। अगर बीच में धन है, पद है, यश है, स्वास्थ्य है, सुख है, उसने कहा, यह घोड़ा बहुत अदभुत है। एक तो, यह तूफान की तो आपको परमात्मा से कोई भी प्रयोजन नहीं है। आपको प्रयोजन चाल से चलता है। और इससे भी बड़ी बात यह है कि इसकी अपने सुख से है। प्रार्थना करते हैं कि शायद परमात्मा से मिल जाए, चाल तो तेज है ही, तो अक्सर सवार गिर जाता है-अगर कभी तो परमात्मा को भी एक इंस्ट्रमेंट, एक साधन–सच, परमात्मा से तुम गिर जाओ, तो यह तुम्हें वहीं स्थान पर सुलाकर, डाक्टर को भी थोड़ी सेवा लेने की उत्सुकता है, और कुछ भी नहीं है। | भी बुला लाता है। उस आदमी ने कहा, चमत्कार! उसके दिल में प्रार्थना कर लेने से प्रार्थना नहीं हो जाती। तो इसलिए जरूरी नहीं भी बहुत दिन से घोड़ा तो लेने का इरादा था। उसने घोड़ा खरीद है कि मढ़ लोग प्रार्थना न करते हों। मढ़ लोग प्रार्थना करते हैं, लिया। दाम भी चकाए। और उसने सोचा कि पहले दिन प्रयोग लेकिन प्रार्थना कभी नहीं करते। कुछ मांग ही होगी उनकी, | करके भी देख लें। छोटी-मोटी, क्षुद्र। और कभी सोचेंगे भी नहीं कि क्या मांगने ___घोड़े पर बैठा। घोड़ा सचमुच तूफान की तरह दौड़ा। और दौड़ा, परमात्मा के सामने खड़े हैं! | तो उसने जाकर एक गड्ढे में उस आदमी को गिराया। जब वह आदमी __असल में कुछ भी मांगने अगर कोई परमात्मा के सामने खड़ा | गिरा, तो उसने सोचा कि आधी बात तो पूरी हो गई, अब आधी देखें। है, तो प्रार्थना नहीं होगी; क्योंकि प्रार्थना मांग नहीं है। प्रार्थना का घोड़ा उसे गिराकर फौरन वापस लौटा। उसने सोचा, हैरानी की बात : अर्थ ही है, बिना मांगा धन्यवाद; मांग नहीं है। प्रार्थना बड़ी उलटी है! और थोड़ी देर में घोड़ा डाक्टर को लेकर आ गया। चीज है। वह किसी चीज की मांग नहीं है, बल्कि जो परमात्मा ने फिर दो-दिन बाद जब उस आदमी को होश आया, तो घोड़े का दिया है, उसके लिए धन्यवाद है, अनुग्रह का भाव है, ग्रेटिटयूड मालिक उसके पास आया और उसने कहा, कहो भाई, संतुष्ट तो 398

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