Book Title: Gita Darshan Part 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 362
________________ गीता दर्शन भाग-3 की जिंदगी में पैदा नहीं होता। हां, संतोषी की जिंदगी में आस-पास | निगेटिव माइंड है। जो नहीं है, बस, वह हमारे लिए महत्वपूर्ण की चीजों से सुख हो जाता है। क्योंकि जो उसे है, वह उसमें प्रसन्न हो जाता है। जो है, वह गैर-महत्वपूर्ण हो जाता है। है। वह उसे भोग रहा है। वह परमात्मा के प्रति अनगहीत है। इसीलिए दनिया में कोई आदमी अमीर नहीं हो पाता। कितना ही लेकिन इस संतोषी के जीवन में एक नई आग जलनी शुरू होती धन मिल जाए, गरीबी नहीं मिटती। क्योंकि निगेटिव माइंड गरीब है, वह परमात्मा की खोज है। क्योंकि जब वह पाता है कि साधारण है। निगेटिव माइंड कभी अमीर नहीं हो सकता। क्योंकि जो भी मिल से भोजन में जो मुझे उपलब्ध है, अगर मैं उस पर ध्यान देता हूं, तो | जाएगा, वह भूल जाएगा; और सदा मिलने को बाकी रहेगा, वह इतना रस मिलता है; साधारण-सा झोपड़ा जो मुझे उपलब्ध है, जब याद रहेगा। मैं उस पर ध्यान देता हूं, तो इतना रस मिलता है; साधारण-सा | भिखमंगे तो भिखमंगे होते ही हैं, अरबपति भी उतने ही भिखमंगे जीवन जो मुझे उपलब्ध है, जब मैं उस पर ध्यान देता हूं, तो इतना | होते हैं। जहां तक भिखमंगेपन का सवाल है, भिखमंगे को जो रस मिलता है तो वह जो जीवन का मूलाधार है, जो मेरे होने के | उसके पास है, वह दिखाई नहीं पड़ता; अरबपति को भी, जो उसके पहले से मेरे पास है, और मेरे न हो जाने पर भी मेरे पास होगा, | पास है, वह दिखाई नहीं पड़ता। भिखमंगे को भी उसकी मांग रहती मेरी लहर बनेगी और मिटेगी, और वह रहेगा, उसे पा लेने से क्या | है, जो पास नहीं है; अरबपति को भी उसकी ही मांग रहती है, जो होगा! उसको पा लेने की एक नई पीड़ा, एक नई प्रसव-पीड़ा शुरू उसके पास नहीं है। फर्क क्या है? होती है। इतना ही फर्क है कि भिखमंगे के पास जो है, वह कम है भूलने संतोष को योग ने एक अनिवार्य सूत्र माना है परमात्मा की को; अरबपति के पास भूलने को ज्यादा है। लेकिन भूलने को ही तलाश के लिए। अगर आप सोचते हों कि संतोष केवल संसार की | ज्यादा है, और तो कुछ अर्थ नहीं है। भिखमंगा अपने भिक्षा के पात्र दौड़ से बच जाने की तरकीब है, तो आपको संतोष की कीमिया का को भूलता है, अरबपति अपनी तिजोड़ी को भूलता है। लेकिन कोई पता नहीं। वह तो बड़ी गौण बात है। महत्वपूर्ण बात यह है कि | भूलने में आप तिजोड़ी भूलें कि भिक्षा का पात्र भूलें, इससे कोई जो अपने चारों तरफ जो मौजूद है, उससे संतुष्ट हो जाता है, उसके फर्क नहीं पड़ता। न तो भिखमंगा अपने भिक्षा के पात्र का आनंद भीतर उसकी खोज शुरू होती है, जो सबसे ज्यादा गहराई में सदा ले पाता है, न करोड़पति अपनी तिजोड़ी का आनंद ले पाता है। से मौजूद है। उसके रस की खोज शुरू हो जाती है। जो है, वह हमें दिखाई नहीं पड़ता। और परमात्मा अतिशय है। करोड़ों में इसीलिए एक आदमी! वह जिसके पास पाजिटिव एक इंचभर जगह नहीं है, जहां वह नहीं है। इसीलिए करोड़ में कभी माइंड है। कोई एक उसकी खोज पर निकलता है। पाजिटिव माइंड, एक हमारे सबके पास निगेटिव माइंड है, हमारे पास नकारात्मक मन विधायक चित्त ही परमात्मा की खोज पर जा सकता है। है। हमें मित्र तब दिखाई पड़ता है, जब वह घर से जा चुका होता । उसे देखना शुरू करें, जो है। उसे भूलना शुरू करें, जो नहीं है। है। हमें सुख का भी तब पता चलता है, जब वह हाथ से छूट गया खाली स्थानों में मत भटकें; भरे स्थानों में जीएं। और ध्यान रहे, होता है। हमें प्रेम का भी तब पता चलता है, जब प्रेम का दीया बुझने | हर आदमी के पास इतना है कि काश, वह देखने लगे, तो शायद लगता है। हमें पता ही तब चलता है, जब कोई चीज समाप्त होती | | इस जमीन पर गरीब आदमी खोजना मुश्किल है। है। जब कोई मरता है, तभी हमें पता चलता है कि वह था। जब सुना है मैंने कि एक आदमी रो रहा है, छाती पीट रहा है। और तक वह था, तब तक हमें पता ही नहीं चलता। एक फकीर उसके पास से निकला है और उसने पूछा कि तुम इतने पिता घर में मौजूद है, बेटे को बिलकुल पता नहीं चलता कि है। | परेशान हो रहे हो कि मुझे मालूम पड़ता है कि तुम बड़े गरीब आदमी जिस दिन मरेगा पिता, उस दिन पता चलेगा। उस दिन रोएगा, छाती हो। लेकिन मेरे गुरु ने कहा है कि इस जमीन पर कोई आदमी गरीब पीटेगा। और जब तक पिता मौजूद था, तब कभी दो क्षण भी उसके नहीं है। या तो मेरे गुरु गलत हैं, या तुम कुछ गलती समझे हो। पास नहीं बैठा था। बड़े आश्चर्य की बात है। तब तक कभी फुर्सत उस आदमी ने कहा, मुझसे गरीब आदमी खोजना मुश्किल है। न मिली थी कि दो क्षण उसके पैरों पर हाथ रखकर बैठ जाए। अब | आज मैं दो दिन से भूखा हूं। मेरे पास कुछ भी नहीं है। उस फकीर मुर्दे की छाती पर सिर पटकेगा। ने कहा, लेकिन मेरे गुरु ने कुछ जांचने की तरकीबें बताई हैं; मैं पहले 3361

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