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गीता दर्शन भाग-3
समता समझ लेना।
| दूसरा कभी बनाया ही नहीं। और अब बना सकूँगा, इसकी भी कोई जरा भी फासला न रह जाए, कि दूसरा ठीक वैसा ही है, जैसा आशा नहीं। और हर आदमी इसको दिल में लिए घूमता है मैं हूं। बुराई में भी, भलाई में भी, पाप में भी, पुण्य में भी, दूसरे जिंदगीभर। कह भी नहीं पाता, क्योंकि कहे तो झंझट आ जाए,
और मझमें कोई फासला नहीं है। ऐसी प्रतीति की जो गहराई है, वह क्योंकि दूसरे भी यही लिए घूम रहे हैं! कह भी नहीं पाता बहुत बड़ा विस्फोट लाती है।
साफ-साफ। छिपा-छिपाकर कहता है। गोल-मोल बातें करके पर इसको चाहने के लिए, इस दिशा में यात्रा करने के लिए, जब कहता है। परोक्ष-परोक्ष रूप से घोषणा करता है। न मालूम कितनी भी दूसरे के संबंध में सोचें, तो एक बार पुनः उसी बात को लेकर | तरकीबें खोजता है कि तुम्हें पता चल जाए कि मुझ जैसा कोई नहीं। अपने संबंध में पहले सोचना। और अपने मन के धोखों में मत पड़ | लेकिन बिलकुल पागल हो, क्योंकि दूसरा भी इसी कोशिश में लगा जाना, क्योंकि मन कहेगा, ये तो मजबूरियां थीं। ऐसा तो उसका मन
है कि मझ जैसा कोई भी नहीं। हम सब इसी खेल में रत हैं। भी कहता है, यह भी जानना। ऐसा मत कहना कि यह मेरा स्वभाव परमात्मा यह मजाक करता है या नहीं, मुझे पता नहीं। लेकिन नहीं है। उसका मन भी यही कहता है कि यह मेरा स्वभाव नहीं है। आदमी का मन जरूर यह मजाक कर रहा है। और गहरी मजाक . जैसा हमें लगता है, वैसा ही प्रत्येक को लगता है।
है। और पूरी जिंदगी इस मजाक में व्यतीत हो जाती है; व्यर्थ ही महावीर ने तो इसे अहिंसा कहा, इस सूत्र को। यह स्वयं के | | व्यतीत हो जाती है। सादृश्य सब को मान लेने को महावीर ने अहिंसा कहा। महावीर ने | | मार्क ट्वेन के संस्मरणों में मैंने कहीं देखा है। वह फ्रेंच नहीं कहा कि जैसा हमें लगता है, वैसा सब को लगता है, इसलिए तुम | | जानता था, और फ्रांस आया। तो एक बहुत मजेदार घंटना हो गई। जो व्यवहार अपने साथ करो, वही दूसरे के साथ करो। | फ्रांस में उसका लड़का शिक्षित हो रहा था, यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा
जीसस ने भी यही कहा। अगर जीसस के पूरे जीवन के उपदेश था। तो उसका स्वागत किया पेरिस के साहित्यकारों ने। तो उसने का सार-निचोड़ हम रखें, तो एक ही वाक्य है जीसस का, जो परम | अपने लड़के से कहा कि तु जरा मेरे साथ बैठे रहना, क्योंकि लोग है, महावाक्य है, डू नाट डू अनटु अदर्स, दैट यू वुड नाट लाइक | | जब हंसेंगे, अगर मैं न हंसू, तो वे समझेंगे, फ्रेंच नहीं जानता। टु बी डन विद यू–मत करो दूसरों के साथ वह, जो तुम न चाहोगे और फ्रेंच न जाने कोई उन दिनों, तो अशिक्षित, थोड़ा अनाड़ी, कि दूसरे तुम्हारे साथ करें।
थोड़ा अश्रेष्ठ। फ्रेंच तो जाननी ही चाहिए, संस्कृति की भाषा! तो लेकिन हम वही कर रहे हैं। और तब अगर हम योग को उपलब्ध मैं यह चाहता हूं, मार्क ट्वेन ने कहा कि पता न चले कि मैं नहीं नहीं होते, तो आश्चर्य नहीं। और अगर हम श्रेष्ठ शांति को और जानता हूं। तो तू मेरे पास बैठ रहना। तू मुझे इशारा कर देना। तो तू आनंद को उपलब्ध नहीं होते, तो आश्चर्य नहीं। यह हमारे ही कर्मों | | जो करेगा, वही मैं करने लगूंगा। जब तू हंसेगा, मैं हंस दूंगा। जब का सुनिश्चित फल है। जो हम कर रहे हैं, उसकी यह नियति है। तू गंभीर हो जाएगा, मैं गंभीर हो जाऊंगा। तुझ पर ध्यान रखूगा। तू यही होगा।
खयाल रखना। ताकि किसी को यह पता न चल पाए। लेकिन बहुत कठिन है दूसरे के साथ अपने को सम भाव में | लेकिन बड़ी गड़बड़ हो गई। क्योंकि जब मार्क ट्वेन की तारीफ रखना। सबसे बड़ी कठिनाई उस ईगो और अहंकार की है, जो | | की जाती थी, तो सारा हाल ताली बजाता; लड़का भी बजाता और कहता है, मैं! मेरे जैसा कोई भी नहीं।
मार्क ट्वेन भी बजाते, क्योंकि वे समझ नहीं पाते। लड़का बड़ा अरब में एक कहावत है, एक मजाक है कि परमात्मा जब लोगों बेचैन हुआ कि यह तो बड़ी मुसीबत है! लेकिन अब बीच मंच पर को बनाता है, तो सबके साथ एक मजाक कर देता है। धक्का देते कुछ कहना भी ठीक नहीं है कार्यक्रम चलते वक्त। यह भूल कई वक्त दुनिया में, उनके कान में कह देता है, तुम जैसा किसी को भी दफे हुई। लोग खिलखिलाकर हंसते। लड़का भी हंसता। मार्क नहीं बनाया। सभी से कह देता है, दिक्कत तो यह है। अगर एकाध ट्वेन भी हंसता। और उसे पता ही नहीं चलता कि मार्क ट्वेन के से कहे, तो चले। झंझट न हो कुछ। सभी से कह देता है! संबंध में कोई मजाक कही गई है।
यह मजाक, यह कहावत बड़ी प्रीतिकर है, बड़े अनुभव की है। बाद में लड़का तो पसीने से तरबतर हो गया। जब रात लौटने हर एक से कह देता है कि गजब, तुम जैसा तो लाजवाब, तुम जैसा लगे, लड़के ने कहा, आपने तो मुझे दिक्कत में डाल दिया। लोग
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