Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi
View full book text
________________
448
धातुरत्नाकर प्रथम भाग
टङ्कयेयुः
१५७४. धक्कण् (धक्क्) नाशने। ७ व० धक्कयति धक्कयत: धक्कयन्ति स० धक्कयेत् धक्कयेताम् धक्कयेयुः प० धक्कयतु
धक्कयतात् धक्कयताम् ह्य० अधक्कयत् अधक्कयताम् अधक्कयन् अ० अदधक्कत् अदधक्कताम् अदधक्कन् प० धक्कयाञ्चकार धक्कयाञ्चक्रतुः धक्कयाञ्चक्रुः आ० धक्कयात् धक्कयास्ताम् धक्कयासुः श्व० धक्कयिता धक्कयितारौ धक्कयितारः भ० धक्कयिष्यति धक्कयिष्यतः धक्कयिष्यन्ति क्रि० अधक्कयिष्यत् अधक्कयिष्यताम् अधक्कयिष्यन्
१५७५. चक्कण (चक्क) व्यथने। ८ व० चक्कयति चक्कयतः चक्कयन्ति स० चक्कयेत् चक्कयेताम् चक्कयेयुः प० चक्कयतु चक्कयतात् चक्कयताम् ह्य० अचक्कयत् अचक्कयताम् अचक्कयन् अ० अचचक्कत् अचचक्कताम् अचचक्कन् प० चक्कयाञ्चकार चक्कयाञ्चक्रतुः चक्कयाञ्चक्रुः आ० चक्कयात् चक्कयास्ताम् चक्कयासुः श्व० चक्कयिता चक्कयितारौ चक्कयितार: भ० चक्कयिष्यति चक्कयिष्यतः चक्कयिष्यन्ति क्रि० अचक्कयिष्यत् अचक्कयिष्यताम् अचक्कयिष्यन्
१५७६. चुक्कण (चुक्क्) व्यथने। ९ व० चुक्कयति चुक्कयतः चुक्कयन्ति स० चुक्कयेत्
चुक्कयेताम्
चुक्कयेयुः प० चुक्कयतु चुक्कयतात् चुक्कयताम् ह्य० अचुक्कयत् अचुक्कयताम् अचुक्कयन् अ० अचुचुक्कत् अचुचुक्कताम् अचुचुक्कन् प० चुक्कयाञ्चकार चुक्कयाञ्चक्रतुः चुक्कयाञ्चक्रुः आ० चुक्कयात् चुक्कयास्ताम् चुक्कयासुः श्व० चुक्कयिता चुक्कयितारौ चुक्कयितार: भ० चुक्कयिष्यति चुक्कयिष्यतः ।
चुक्कयिष्यन्ति
क्रि० अचुक्कयिष्यत् अचुक्कयिष्यताम् अचुक्कयिष्यन्
१५७७. टकुण् (टड्क्) बन्धने। १० व० टङ्कयति टङ्कयतः टङ्कयन्ति स० टङ्कयेत् टङ्कयेताम् प० टङ्कयतु/टङ्कयतात् टङ्कयताम् धक्कयन्तु ह्य० अटङ्कयत् अटङ्कयताम् अटङ्कयन् अ० अटटङ्कत् अटटङ्कताम् अटटङ्कन् प० टङ्कयाञ्चकार टङ्कयाञ्चक्रतुः टङ्कयाञ्चक्रुः आ० टङ्कयात् टङ्ख्यास्ताम् टङ्कयासुः श्व० टङ्कयिता टङ्कयितारौ टङ्कयितारः भ० टङ्कयिष्यति टङ्कयिष्यतः टङ्कयिष्यन्ति क्रि० अटङ्कयिष्यत् अटङ्कयिष्यताम् अटङ्कयिष्यन्
१५७८. अर्कण् (अ) स्तवने। ११ व० अर्कयति अर्कयतः अर्कयन्ति स० अर्कयेत् अर्कयेताम् अर्कयेयुः प० अर्कयतु अर्कयतात् अर्कयताम् ह्य० आर्कयत् आर्कयताम् अ० आर्चिकत् आर्चिकताम् आर्चिकन् प० अर्कयाञ्चकार अर्कयाञ्चक्रतुः
अर्कयाञ्चक्रुः आ० अर्कयात् अर्कयास्ताम् अर्कयासुः श्व० अर्कयिता अर्कयितारौ अर्कयितारः भ० अर्कयिष्यति अर्कयिष्यतः अर्कयिष्यन्ति क्रि० आर्कयिष्यत आर्कयिष्यताम आर्कयिष्यन्
१५७९. पिच्चण् (पिच्च्) कुटने। १२ व० पिच्चयति पिच्चयत: पिच्चयन्ति स० पिच्चयेत् पिच्चयेताम् पिच्चयेयुः प० पिच्चयतु पिच्चयतात् पिच्चयताम् ह्य० अपिच्चयत् अपिच्चयताम् अपिच्चयन् अ० अपिपिच्चत् अपिपिच्चताम् अपिपिच्चन् प० पिच्चयाञ्चकार पिच्चयाञ्चक्रतुः पिच्चयाञ्चक्रुः आ० पिच्चयात् पिच्चयास्ताम् पिच्चयासुः श्व० पिच्चयिता पिच्चयितारौ पिच्चयितार:
आर्कयन्
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646