Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 637
________________ 620 1731 मुचण् 1732 अर्जण् 1733 भजण 1734 चट 1735 स्फुटण् 1736 घटण् 1737 कणण् 1738 यतणू 1738 2 1739 1740 1741 1742 1743 1744 1745 1746 निरश्च शब्दण् षूदण् आङः क्रन्दण् ष्वदण् आस्वदः सकर्मकात् मुदण् शृधण् कृपण् 1747 जभुण् 1748 अमण् 1749 चरण् 1750 पूरण् 1751 दलण् 1752 1754 पषण् 1755 पुषण् दिवण 1753 पश Jain Education International प्रमोचने । प्रतियत्रे । प्रतियत्नः संस्कारः । विश्राणने । विश्राणनं विपचनम् भेदे संघाते निमीलने निकारोपस्कारयोः । निकारः खेदनम् प्रतिदाने । निरः परो यति प्रतिदानेऽर्थे to return चुरादिः । । उपसर्गाद् भाषाविष्कारयोः भाषणे To sound to speak भाषणम् । भाषे आविष्कारे। भाषे आविष्कारे चार्थे शब्द इत्ययं धातुरुपसर्गात्परशुरादिः । आसवणे भवति संसर्ग प्रसहने प्रसहनमभिभवः । नाश रोगे सकर्मकाण्णिजू असंशये आप्यायने विदारणे To release, to throw To arrange To cook, to give To break, to pierce To collect To be blind To close, to torture, to reflect To mix, to blend To strive to defeat to win अवकल्कने। अवकल्कनं मिश्रीकरणं To mix to be strong सामर्थ्यञ्च अर्दने बन्धने धारणे धातुरत्नाकर प्रथम भाग करना, छोड़ना, फैकना To excite, to ooze, to drop सातत्ये। आङः परः क्रन्द इत्ययं to cry to lament to चिल्लायाना, रोधन धातुः सातत्येऽर्थे चुरादिः । be permanent करना, स्थाई होना आस्वादने To taste चाटना आपूर्वात्स्वदतेः To destroy To be ill To think To fill To tear To trouble To bind To nourish For Private & Personal Use Only क्रमबद्ध करना पकाना देना तोड़ना, भेदना इकट्ठा करना अन्धा होना बन्द करना, कष्ट देना, प्रतिबिम्बित करना वापस देना शब्द करना, बोलना उकसाना, टपकना, गिराना मिश्रण करना अभिभूत करना, हराना, जितना मिश्रण करना, समर्थ होना नष्ट करना रोगी बनना विचार करना भरना फाड़ डालना पीड़ा देना बाँधना पोषण करना www.jainelibrary.org

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