Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 643
________________ 626 1925 चहण् 1926 महण् 1927 रहण 1928 रहुण् 1929 स्पृहणू 1930 रुक्षण् 1931 मृगणि 1932 अर्थणि 1933 1934 1935 1937 1938 1939 1940 1941 1942 1943 1944 1951 1952 1953 पदणि संग्रामणि शूर 1936 वीरणि 1954 1955 1956 सत्रणि स्थूलणि गर्वणि गृहणि कुहणि 1945 प्रीगण् 1946 धूग्ण् 1947 वृग्ण् 1948 नृण् 1949 चीक 1950 शीकण् युजण् लण् मीण मार्गण् पृचण् रिचण् वचण् अर्चिण् हर्जेण् Jain Education International कल्कने कल्कर्न दम्भः पूजायाम् । त्यागे गतौ ईप्सायाम्। पारुष्ये अन्वेषणे उपयाचने गतौ युद्धे विक्रान्ती संदानक्रियायाम् । परिवृंहणे । परिवृंहणं पीनत्वम् । माने ग्रहणे विस्मापने संपर्चने द्रवीकरणे मतौ। मतिर्मननम्। तर्पणे कम्पने आवरणे वयोहानौ आमर्षणे अन्वेषणे संपर्चने वियोजने च । चकारात्सं पर्चने भाषणे पूजायाम् । वर्जने To make a pretext To worship To abandon To go To desire for To be harsh To seek for To beg for To go To fight To be powerful to make vigorous exertions To practise charity To be fat To be proud To take To deceive To mix To liquidify To think, to reflect surprise, To please To shake To cover To grow old To suffer to touch to be impatient To seek for To mix To separate, (to mix) To speak To worship To avoid For Private & Personal Use Only धातुरत्नाकर प्रथम भाग बहाना ढूँढना पूजा करना त्याग करना जाना इच्छा करना कठोर होना अन्वेषण करना माँगना जाना लड़ना पराक्रमी होना, दान देना मोटा होना गर्व करना ग्रहण करना to आश्चर्यचकित करना, मूर्ख बनाना मिश्रण करना प्रवाही करना सोचना, मनन करना खुश करना हिलाना ढकना वृद्ध होना सहन करना, स्पर्श करना, सहन न करना अन्वेषण करना मिश्रण करना अलग करना, मिश्रण करना कहना पूजा करना त्याग करना www.jainelibrary.org

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