Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 605
________________ 588 धातुरत्नाकर प्रथम भाग 665 ऋजुङ् 666 भृजेंङ् भर्जने भर्जनं पाकप्रकार: 667 तिजि क्षमानिशानयोः निशानंतक्ष्णीकरणम् (668 669 To fry To endure, to make pointed To move To move To attempt To be united To twist, to wallow to decrease To kill, to transgress तलना, भूनना क्षमा करना, तीक्ष्ण करना जाना जाना चेष्टा करना एक होना लपेटना, गँथना, घट्टि चलने स्फुटि विकसने चेष्टि चेष्टायाम्। चेष्टेहा गोष्टि 672 लोष्टि । वेष्टि वेष्टने। वेष्टनं ग्रन्थनं लोटनं . परिहाणिश्च अट्टि हिंसातिक्रमयोः। अतिक्रम उल्लङ्घनम् 670 671 673 संघाते 674 To distress To care 675 677 679 680 एठि 676 हेठि मठुङ् 678 कठुङ् मुठुङ् वठुङ् विबाधायाम् शोकोशोकोऽत्राध्यानम् पलायने एकचर्यायाम्। एक्सया-सहायस्य चर्यागतिस्तस्याम् गतौ मारना, अतिक्रमण करना चिन्ता करना सोचना भागना अकेले जाना To run away To go alone जाना 681 683 685 अठुङ् 682 पडुङ् हुडुङ् 684 पिडुङ् शडुङ् संघाते To go To unite To be sick, to unite एक करना रोगी होना, एक रुजायाञ्च। चकारात्संघाते होना 686 687 688 189 ताडने मदे मन्थे गतिवैकल्ये तडुङ् कडुङ् खडुङ् खुडुङ कुडुङ् वडुङ् 692 मडुङ् भडुङ् मुडुङ् To beat To be proud To churn To walk like drunker To burn To envelope To speak To clean, to censure 690 691 दाहे 693 वेष्टने परिभाषणे मज्जने। मज्जनं शोधनं न्यग्मावश्च 694 ताडित करना गर्व करना मन्थन करना वक्रगति से चलना जलाना लपेटना बोलना साफ करना. निन्दा करना मारना स्वीकार करना क्रोध करना काटना स्तुति करना डूबकी लगाना अनादर करना 695 तुडुङ् तोडने। तोडनं हिंसा (696 भुडुङ् वरणे। वरणं स्वीकारः 697 चडुङ् कोपे 698 द्राङ् 699 धाडङ् विशरणे 700 शाडङ् श्लाघायाम् 701 वाङ् आप्लाव्ये। आप्लाव्यमाप्लावनम् 702 हेडङ् 703 होडङ् अनादरे To kill To admitt To be angry To be scattered To praise To dive and swim To disrespect Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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