Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 613
________________ 596 धातुरत्नाकर प्रथम भाग 923 924 925 झषी भेषग श्रेषग् आदानसंवरणयोः भये। चलने च। चकाराद्भये To take, to cover To fear To weave, to walk, to fear 926 पषी बाधनस्पर्शनयोः। स्पर्शनं ग्रन्थनम् To injure, to weave लषी चषी छषी त्विषीं अषी 932 असी 927 928 929 930 931 933 934 935 936 937 938 कान्तौ। कान्तिरिच्छा भक्षणे। हिंसायाम् दीप्तौ गत्यादानयोश्च दाने माने। मानं वर्तनम संवरणे। भक्षणे दीप्तौ अभिप्रीत्याज। चकाराद् दीप्तौ। अभिप्रीतिरभिलाष: परिवर्तने प्रतीपाते। दासृग माहृम् लेना, ढंकना भय करना बुनना, चलना, भय करना ताडित करना, बुनना इच्छा करना खाना मारना चमकना जाना, लेना दान करना वर्तन करना ढंकना खाना चमकना प्रीति करना, चमकना परिवर्तित करना प्रतिघात करना To wish To eat To kill To shine To go, to take To give To act, to behave To cover To eat To shine To long for, to shine गुहौग भ्लक्षी द्युति रुचि To be altered To strike श्विताङ् वर्णे स्नेहने। स्नेहनं स्नेहयोगः। मोचने च। चकारा- त्स्नेहने 939 घुटि 940 रुटि 941 लुटि 942 लुठि 943 944 जिमिदांङ् 945 जिश्विदाङ् 946 अिष्विदांङ् 947 शुभि 948 949 णभि 950 तुभि 951 स्रम्भूङ् विश्वासे भ्रंशूङ् 953 स्रंसूङ् 954 ध्वंसूङ् 955 वृतूङ् 956 स्यन्दौङ् 957 वृधूङ् 958 शृधूङ् क्षुभि दीप्तौ संचलने। संचलनं रूपान्यथात्वम् हिंसायाम् To be white To be gummy To release, to be gummy To shine To agitate To kill To believe To perish To go, to be perished To be have To ooze To grow To break wind श्वेत होना चिकना करना मुक्त करना, चिकना करना चमकना क्षुब्ध करना मारना विश्वास करना नष्ट करना जाना, नष्ट होना वर्तन करना स्रवित होना वृद्धि करना करना 952 अवस्रसंने। गतौ च। चकारादवप्रेसने वर्तने। वर्तनं स्थिति। स्रवणे। वृद्धौ शब्दकुत्सायाम्। शब्दकुत्सापायुशब्दत्वात्। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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