Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 620
________________ धात्वर्यसूची 1145 1147 1148 1150 1151 1152 1153 1154 1155 1156 1157 1158 1159 1160 1164 1165 1166 1168 1169 1170 1171 1172 1173 1175 1176 1177 1178 ज्ष् 1146 झष्च् जरसि शीच् दों 1149 छोट् घोंच् व्रीडच नृतैव कुथच् पुथच् गुधच् राधचं व्यधंच् क्षिपंच पुष्पच् तिम 1161 तीम 1162 टिम 1163 ष्टीमच पिवूच् श्रिवच् ष्ठिवू 1167 शिवूच् इषच् ष्णसूच् क्रसूच् सैय् प्युसच् वह 1174 षुहच् पुषंच् उचच् लुटच् ष्विदांच् Jain Education International जयेच्छा विजिगीषा । पणिर्व्यवहारः क्रयादिः जरसि । जरावयोहानिः तक्षणे। तक्षणं तनूकरणम् । छेदने अन्तकर्मणि । अन्तकर्म विनाश लजायाम् नर्तने । नर्तन नाट्यम् पूतिभावे | पूतिभावोदुर्गन्धः केदः हिंसायाम् परिवेष्टने वृद्धौ ताडने प्रेरणे विसकने आर्द्रभावे उतौ उतिर्वानं तन्तुसंतान इत्यर्थः गतिशोषणयोः निरसने गतौ निरसने वृतिदीप्त्योः वृतिः कौटिल्यम् भये दाहे शक्तौ पुष्टौ समवाये। समवाय ऐक्यम् विलोटने गात्रप्रक्षरणे गात्रप्रक्षरणं धर्मस्तुतिः business, to shine, to praise, to go To grow old To make pointed To cut To perish To feel shame To dance, to play, to perform drama To be wet and of nauseous smeil To kill To twist To grow To beat To throw To bloom To be wet To weave To go, to be dried To spit To go To spit To be crooked To fear To burn To be powerful To be fat To unite To wallow To perspire For Private & Personal Use Only करना, जीतना, व्यापार करना, चमकना, प्रशंसा करना, जाना वृद्ध होना छिलना काटना विनाश करना लज्जित होना नाचना, खेलना, नाटक करना गीला होना तथा दुर्गन्धयुक्त होना हिंसा करना लपेटना बढ़ना ताड़ित करना फेंकना विकसित होना गीला करना सीलना जाना, सुखाना थूकना 603 जाना थूकना वक्र होना भयभीत होना जलना शक्तिशाली होना मोटा होना एक होना लोटना परसेवा करना www.jainelibrary.org

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