Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 631
________________ 614 धातुरत्नाकर प्रथम भाग 1518 1519 1520 152] 1522 पूग्श् लूग्श् धूग्श् स्तृग्श् कृग्श् पवने। पवनं शुद्धिः छेदने कम्पने आच्छादने हिंसायाम् To purify To cut To shake To cover To kill, to hurt शुद्ध करना छेदन करना हिलाना ढंकना मारना, आहत करना स्वीकार करना क्षीण होना, बढ़ना जाना, आहत करना गले लगाना स्वीकार करना जाना वरणे वृग्श् ज्यांश 1523 1524 1525 1526 रीश् To choose To oppress, to grow To go, to hurt To embrace To choose, to accept To go हार्नो गतिरेषणयः । रेषणं हिंसा श्लेषणे वरणे गतौ लींश् 1527 ब्लींश् ल्वीश् 1530 मृ मारना 1528 1529 1531 1532 1533 1534 हिंसायाम् पालणपूरणयोः। भरणे भर्जने च। भर्जनं पाकः। चकाराद्भरणे To kill To protect, to kill To nourish To cook, to nourish दृश् विदारणे वयीहानौ रक्षा करना, मारना पोषण करना पकाना, पोषण करना फाड़ना वृद्ध होना ले जाना शब्द करना जाना 1535 1536 1537 1538 1539 1540 1541 1542 1543 नये ऋश् To tear To grow old To carry To sound To go To know To kill To choose To nourish To recreate जानना झांश् क्षिष्श् वों शब्दे गतौ अवबोधने हिंसायाम् वरणे भरणे भूतप्रादुर्भावे। भूतप्रादुर्भावोऽतिक्रान्तोत्पत्तिः सुखने मोचनप्रतिहर्षयोः विलोडने संदर्भे। संदर्भो बन्धनम् संक्लेशे मारना स्वीकार करना पोषण करना पुन: उत्पन्न करना भ्रींश् हेडश् 1544 1545 1546 1547 1548 1549 1550 1551 मृडश् श्रन्थश् मन्थश् ग्रन्थ कुन्थश् मृदश् गुधश् To make happy Torelease, to delight To churn To bind, to gather To suffer To crush To be angry सुखी होना छोड़ना, प्रसन्न होना मंथन करना बँधना, गूंथना दुःख देना पीसना क्रोध करना क्षोदे रोषे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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