Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 632
________________ धात्वर्थसची 615 बँधना 1552 1553 1554 बन्धंश् क्षुभश् णम् 1555 तुभश् 1556 खवश् बन्धने To bind संचलने To agitate कंपित होना To move, to shake, चलना, कंपित to kill होना, मारना हेठश्वत्। यथा हेठश् भूतप्रादुर्भावे To make prosper उन्नति करना तथायमपिवर्णक्रमानुरोधेन तु तत्रैव न पठितः। विबाधने To narrate a past भूतकाल का स्मरण thing करना भोजने To eat खाना 1557 क्लिशौश् अशश् 1558 1559 1560 विषश् विप्रयोगे 1561 पृष 1562 प्लुषश् स्नेह सेचन पूरणेषु स्तेये 1563 1564 1565 1566 1567 मुषश् पुषश् कुषश् घ्रसूश् वृश् निषकर्षे। निषकर्षो बहिष्कर्षणम उञ्छ संभक्तौ। संभक्ति संसेवा। चुरण स्तेये 1568 1569 1570 पण पूरणे भरना स्रवणे To separate, to अलग करना, disjoin वियोग करना To moisten, to गीला करना, sprinkle छिड़कना To steal चोरी करना To nourish पोषण करना To draw out बाहर निकालना To collect इकट्ठा करना To serve well अच्छी प्रकार सेवा करना To steal चोरी करना To fill To sprinkle over, to छिड़कना, गीला wet करना To speak बोलना To destroy नष्ट करना To trouble कष्ट देना To bind बँधना To praise प्रशंसा करना To hammer वार करना To extend विस्तार करना To speak indistinctly अस्पष्ट बोलना To be strong, to live बलवान होना, जीना To kill, to be strong, मारना, बलवान to give, to live होना, देना, प्राण धारण करना 1571 1573 1575 1577 1578 श्वल्क 1572 वल्कण् भाषणे नक्क 1574 धक्कण नाशने चक्क 1576 चुक्कण् व्यथने टकुण् बन्धने अर्कण् स्तवने पिचण् कुट्टने पचुण विस्तारे म्लेछण म्लेच्छने। म्लेच्छनम व्यक्ता वाक् ऊर्जण् बलप्राणनयोः। प्राणनं जीवनम्। तुजु 1584 पिजुश् हिंसाबलदाननिकेतेनेष । निकेतनं गृहम 1579 1580 1581 1582 1583 www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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