Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 633
________________ 616 1585 क्षजुण् 1586 1587 1589 1590 1592 1593 1594 1598 1599 1602 1604 1606 1609 1610 1612 1613 1614 1615 1616 * पूजण गज 1588 मार्जणू तिजण् व्रज 1591 व्रजण् 1619 1620 1621 रुजण् नटण तुट 1595 चुट 1596 चुटु 1597 छुटण् कुट्टण् 1607 स्निटण् 1608 घट्टण् खट्ट पट्ट 1611 स्फिरण पुट्ट 1600 चुट्ट 1601 पट्टण् पुट 1603 मुटण् अट्ट1605 स्मिटण् लुटण् स्फुटुण कीटण वटुण रुदण शठ 1617 श्वठ 1618 श्वण् शुठण् शुठुण् गुठुण् 1622 लडण् 1623 स्फुडुण् 1624 ओलडुण् 1625 पीडण Jain Education International कृच्छ्रजीवने पूजायाम् शब्दे निशाने मार्गणसंस्कारगत्योः । बाणस्तस्यसंस्कारे गतौ हिंसायाम् अवस्पन्दने । अवस्यन्दनं भ्रंशः छेदने कुत्सने चकाराच्छेदने अल्पीभावे संचूर्णने अनादरे स्तेये च । चकारादनादरे स्नेहने चलने संवरणे हिंसायाम् परिहासे वर्णने विभाजने रोषे संस्कारगत्याः आलस्ये शोषणे वेष्टने उपसेवायाम् । परिहासे उत्क्षेपे गहने गहनं बाधा To live, to distress For Private & Personal Use Only To worship To sound To sharpen मार्गणो To cleanse an arrow to go To kill To degrade To cut To cut, to censure To become small To grind, to speak To disrespect To disrespect, steal धातुरत्नाकर प्रथम भाग प्राण धारण करना, दुःखी होना पूजा करना शब्द करना तीक्ष्ण करना बाण को साफ to To moisten To move To cover To kill To jest, joke, laugh To describe To divide, to share To be angry To go, to make well To be idle To become dry To wind or twist round To fondle To jest or laugh To throw To trouble करना, जाना हिंसा करना पतित करना छेदना छेदना, निन्दा करना छोटा हो जाना पीसना, बोलना अनादर करना अनादर करना, चुराना गीला करना चलना ढंकना हिंसा करना हँसी उड़ाना वर्णन करना विभाजित करना, बाँटना क्रोधित होना जाना, अच्छा बनाना आलस करना सुखाना लपेटना आलिंगन करना परिहास करना फेंकना बाधित करना www.jainelibrary.org

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