Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 616
________________ धाव 1012 दक्षि 1013 श्रां 1014 स्मृ 1015 दृ 1016 नृ 1017 ष्टक 1018 स्तक 1019 चक 1020 1021 1022 1023 1024 1025 1037 1040 1041 1043 लय स 1031 1033 णट 1034 गड 1035 1036 अक कखे अग अकवत् । 1049 रंगे लगे गे 1026 गे 1027 षगे 1028 सगे 1029 ष्ठगे 1030 स्थगे वट 1032 भट लड फण 1038 कण 1039 रण चण शण 1042 श्रण स्नथ 1044 वनथ 1045 क्रथ 1046 क्लथ 1047 छद 1048 मदै गुष्टन 1050 स्तन 1051 ध्वन Jain Education International हिंसागत्योः पाके आध्याने आध्यानमुत्कण्ठा भये नये प्रतीघाते तृप्तौ च चकारात्प्रतीघाते कुटिलायां गतौ उसने अक कुटिलायां गतौ पठितोऽयमपि तदर्थो लाघवार्थं तथा निर्दिश्यते शङ्कायाम् सङ्गे संवरणे । संवरण- माच्छादनम् । परिभाषणे ततौ सेचने वेष्टने जिह्वोन्मन्थने । जिह्वाया उन्मन्थनं जह्वोन्मन्थनम्। गतौ हिंसादानयोश्च । हिंसायांदाने चकाराद्रती दाने हिंसार्था: ऊर्जने। ऊर्जनं प्राणनं बलख हर्षग्लपनयोः । शब्दे To kill To cook To long earnestly To fear To carry To strike To be contented, to strike To walk astray To laugh To walk astray To doubt To accompany To cover To tell To bend To sprinkle To twist To loll the tongue To go To kill, to give, to go To give To kill To burn, to breathe To be delighted, to tremble To make noise For Private & Personal Use Only मारना पकाना उत्कण्ठित होना भय करना ले जाना ताड़न करना तूस करना, ताड़न करना कुटिल गति करना हँसना कुटिल गति करना शंका करना संग करना ढँकना 599 कहना झुकना छिड़कना लपेटना जिह्वा को मथना जाना मारना, देना, जाना देना मारना जलना, श्वास लेना हर्षित होना, शब्द करना www.jainelibrary.org

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