Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 595
________________ 578 273 274 275 277 281 278 चितै 279 280 284 285 286 287 288 294 295 296 297 298 299 301 302 ओणू शोण श्रोण 276 श्लो पैण 308 309 अत च्युतृ चुतृ 282 स्चुत् 25 283 स्च्युतृ । जुतृ अतु कित ऋत कुथु 289 पुथु 290 लघु 291 मधु 292 मन्थ् 293 मान्थ खादृ बद खद गद रद गद 300 भिश्विदा अर्द गर्द 303 नर्द 304 गर्द तर्द 305 306 कर्द 307 खर्द अदु इदु Jain Education International अपनयने वर्णगत्योः संघाते गतिप्रेरणश्लेषणेषु संज्ञाने संज्ञानं संवित्ति: सातत्यगमने सातत्योगमनं नित्यगतिः आसेचने । आसेचनमीषत्सेकः क्षरणे क्षरणं स्रवणम्। भासनं बन्धने निवासे धृणागतिस्पर्धेषु हिंसासंक्लेशयोः । हिंसा प्राण्युपघातः संक्लेशो बाधा। भक्षणे स्थयें हिंसाया। चकारात्स्थैर्ये व्यक्तायां वाचि विलेखने। विलेखनमुत्पाटनम अव्यक्ते शब्दे गतियाचनयोः शब्दे हिंसायाम् कुत्सिते शब्दे दशने। दशनमिहदन्द- शुककर्तृकं दन्तकर्म । बन्ध परमैश्वर्ये । परमैश्वर्यं परमेशनक्रिया To remove हटाना To be redish, to go लाल होना, जाना To unite एक होना To go to embrace, to जाना, गले लगाना, प्रेरित करना suggest to act To know To go constantly To sprinkle in small quantity To ooje To shine To bind To dwell To be kind, to go, to compete To hurt, to kill To eat To be firm To kill, to be firm To speak distinctly To carve To speak indistinctly To go, to beg To sound धातुरत्नाकर प्रथम भाग To kill To rumble To bite To bind To be lord For Private & Personal Use Only जानना निरन्तर चलना थोड़ा छिड़का रिसना चमकाना बांधना रहना दया करना, जाना, प्रतिस्पर्धा करना चोट पहुँचाना, मारना खाना स्थिर होना मारना, स्थिर होना स्पष्ट बोलना खोदना अस्पष्ट बोलना जाना, मांगना शब्द करना हिंसा करना अव्यक्त शब्द करना डंक मारना बांधना स्वामी होना www.jainelibrary.org

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