Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 601
________________ 584 धातुरलाकर प्रथम भाग 505 506 507 कृषं To collect Toplough To kill, to injure इकट्ठा करना हल जोतना हिंसा करना, चोट पहुँचाना ईष उञ्छे। उच्छमुच्चयनम्। विलेखने। विलेखनं हलोत्कर्षणम्। कष 508 शिष 509 हिंसायाम् जष 510 झष 511 वष 512 मष, 513 मुष 514 रुष 515 रिष 516 यूष 517 जूष 518 शष 519 चष संघाते च। चकाराहिसायाम्। वृष To unite, to kill एक होना, हिंसा करना भर्त्सना करना छिड़कना भर्त्सने। भर्त्सनं कुत्सितशब्दकरणम् सेचने To bark To sprinkle भष जिषू 523 विषू 524 मिषू 525 निषू 526 पृषू 527 वृष छिड़कना 528 529 To sprinkle To burn जलना 534 मृषू सहने च। चकारात्सेचने उषू 530 श्रिषू 531 दाहे श्लिषू 532 ए॒षु, 533 प्लु) धृषू सहर्बे अलीके पुष्टौ भूष 538 तसु अलङ्कारे तुस 540 हृस 541 शब्दे ह्रस 542 रस लस श्लेषणक्रीडनयो हवू 535 536 537 539 पुष To attack To lie To be powerful To adorn To sound आक्रमण करना झूठ बोलना पुष्ट होना शोभित करना शब्द करना 543 To enbrace, to sport 544 545 546 To eat To laugh To go गले लगना, लीला करना भोजन करना हँसना जाना घस्लं अदने हसे हसने पिसृ 547 पेसृ 548 गतौ वेस शसू हिंसायाम् शंसू स्तुतौ च। चकाराद् हिंसायाम् मिहं सेचने। दह भस्मी करणे मारना 549 550 551 552 To kill To praise, to kill To sprinkle To burn प्रसन्न करना, मारना छिड़कना जलाना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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