Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 598
________________ धात्वर्थसूची 397 399 400 403 405 406 407 410 411 हम्म 395 मीमृ 396 गम्लं हय 398 हर्य मव्य सूक्ष्य 401 ई 402 ईर्ष्या शुच्यै 404 चुच्यै त्सर क्मर अभ्र 408 बभ्र 409 मभ्र चर घो खोर् 412 413 दल 414 त्रिफला 415 मोल 416 श्मील 417 स्मील 418 क्ष्मील पील 419 420 णील 421 शील ༣ 422 कील 423 कूल 424 शूल 425 तूल 426 पूल 427 मूल 428 फल 429 फुल्ल 430 चुल्ल Jain Education International क्लान्तौ च चकाराद्वतौ। बन्धने । ईर्ष्या अभिषवे। द्रवेण द्रवाणां परिवासनमभिषवः । छद्यगतौ। छद्यप्रकार इत्यर्थः हूर्छ। हूर्छनं कौटिल्यम् गौ भक्षणे च । चकाराद्गतौ । गते चातुर्ये बन्धे आवरणे रुजायाम् निष्कर्षे निष्कर्षोऽन्त स्थस्य बहिर्निःसारणम् संघाते प्रतिष्ठायाम् निष्पत्तीनिष्पत्तिः सिद्धिः To be weary, to go To bind To envy विकसने हावकरणे | मैथुनेच्छा - प्रेरितशरीर विकारो हावकरणम्। To perfume a fluid by another fluid प्रतीघाते । गतेरित्यनु वृत्तेर्गतिप्रतीघाते To be lame विशरणे To be scattered To concentrate निमेषणे निमेषणं संकोचः । निमेषणे निमेषणं संकोचः । प्रतिष्टम्मे प्रतिष्टम्भो रोपणम् वर्णे । वर्णोपलक्षितायां क्रियायाम् । समाधौ समाधिरैकाप्रधम् To concentrate To erect in ground To be green To contemplate in a thing To bind To cover To be ill To draw out To cheat To be crooked To go To eat, to walk To walk skilfully To bloom To sport with a wish of intercourse For Private & Personal Use Only थकान होना, जाना बांधना ईर्षा करना एक द्रव्य से अन्य द्रव्य को सुगन्धित करना छलकपट करना टेढा होना जाना खाना, चलना सावधान होकर चलना विकलांग होना बिखेरना 581 एकाग्र होना एकाग्र होना जमीन में गाड़ना हरित होना समाधिस्थ होना बांधना ढंकना रोगी होना बाहर निकालना To unite To root To fulfil according to इच्छानुसार पूर्ण wish एक होना स्थापित करना करना विकसित होना संभोगेच्छा करना www.jainelibrary.org

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