Book Title: Dhaturatnakar Part 1
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 591
________________ 574 धातुरत्नाकर प्रथम भाग 111 मुञ्चू 112 मुञ्चू 113 Zचू 114 म्लुचू 115 ग्लुञ्चू 116 षस्च ग्रुचू 118 ग्लुचू 117 119 म्लेछ स्तेये अव्यक्तायां वाचि लक्षणे इच्छायाम् आयामे लज्जायाम् कौटिल्ये मोह समुच्छ्राययोः 120 लछ 121 लाछु 122 वाछु आछु 124 ह्रीछ 125 हुर्छा 126 मुर्छा To steal To speak cofusedly To mark To wish To extend To be ashamed To be crooked To faint 123 चोरी करना अनर्थक बोलना चिह्नित करना इच्छा करना लंबा करना शर्म करना वक्रता करना मूर्छित होना, बड़ा होना भूल जाना आलस करना युछ 129 130 To forget To be idle To go जाना 127 स्फुर्छा 128 स्मुर्छा विस्मृतौ प्रमादे धृज 131 धृजु 132 गतौ ध्वज 133 ध्वजु 134 ध्रज 135 ध्रजु 136 वज 137 व्रज 138 षम्ज 139 अज क्षेपणे च। चकाराद्गतौ 140 कुज् 141 खज् स्तेये 142 अर्ज 143 सर्ज अर्जने Togo, to throw To steal To procure, to earn 144 145 कर्ज खर्ज व्यथने मार्जने च। चकाराद् व्यथने To distress To cleanse, to distress To churn To walk lame जाना, फेंकना चोरी करना संग्रह करना, कमाना पीडा करना साफ करना, पीडा देना मंथन करना लंगडा होकर चलना कंपित होना अर्थहीन आस्पष्ट बोलना 146 147 खज खजु मन्थे। मन्थो विलोडनम् । गतिवैकल्ये। गतवैकल्यं विकतत्वं। 149 ट्वोस्फूर्जा 150 क्षीज कूज 151 वज्रनिर्घोषे अव्यक्ते शब्दे To treamble To speak in distinctly 152 152 गुज, 153 गुजु लज 155 लजु 156 भर्त्सने 154 To blame दोष देना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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