Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ खे . दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन अन्य ग्रन्थ, जो इसके साथ ही प्रकाशित हो रहे हैं, निम्न प्रकार हैं: १-दशवेआलियं तह उतरज्झयणाणि (पागम-सुत्त ग्रन्थ-माला का प्रथम ग्रन्थ ) २-धर्म-प्रज्ञप्ति, खण्ड-१ : दशवकालिक वर्गीकृत ( वर्गीकृत-आगम ग्रन्थ-माला का प्रथम ग्रन्थ ) निम्नलिखित ग्रन्थ मुद्रण में हैं :१-उत्तरज्झयण : मूल, संस्कृत-छाया, हिन्दी अनुवाद आदि युक्त संस्करण / (पागम-ग्रन्थ-माला का प्रथम ग्रन्थ ) २-आयारो : ( आगम-सुत्त ग्रन्थ-माला का द्वितीय ग्रन्थ.) . पाण्डुलिपि प्रणयन : प्रस्तुत ग्रन्थ की पाण्डुलिपि का प्रणयन आदर्श साहित्य संघ द्वारा हुआ है / पाण्डु प्रति महासभा को प्रकाशनार्थ प्रदान कर संघ ने जिस उदारता का परिचय दिया है, उसके लिए आगम-साहित्य प्रकाशन समिति अपनी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती है। आर्थिक योग-दान : इस ग्रन्थ के मुद्रण-खर्च का भार श्री रामकुमारजी सरावगी की प्रेरणा से श्री सरावगी चेरिटेबल फण्ड, कलकत्ता, जिसके श्री प्यारेलालजी सरावगी, गोविन्दलालजी सरावगी, सज्जनकुमारजी सरावगी एवं कमलनयनजी सरावगी ट्रष्टी हैं, ने वहन किया है। श्री सरावगी चेरिटेबल फण्ड का यह आर्थिक अनुदान स्वर्गीय स्वनामधन्य श्रावक महादेवलालजी सरावगी एवं उनके सुयोग्य दिवंगत पुत्र पन्नालालजी सरावगी ( सदस्य भारतीय लोक सभा) की स्मृति में प्राप्त हुआ है। स्व० महादेवलालजी सरावगी तेरापंथ-सम्प्रदाय के एक अग्नगण्य श्रावक थे और कलकत्ता के प्रसिद्ध अधिष्ठान महादेव रामकुमार से सम्बन्धित थे। स्व० पन्नालालजी सरावगी महासभा एवं साहित्य प्रकाशन समिति के बड़े उत्साही एवं प्राणवान् सदस्य रहे / आगम-प्रकाशन योजना में उनकी आरम्भ से ही अभिरुचि रही। __ उक्त योगदान के प्रति हम उक्त फण्ड के ट्रस्टीगण के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रगट करते हैं। प्रागम-साहित्य प्रकाशन की व्यवस्था के लिए महासभा द्वारा सन् 1965 में सर्वश्री मदनचन्दजी गोठी, मोहनलालजो बाँठिया 'चंवल', गोविन्दरामजी सरावगी, खेमचन्दजी सेठिया एवं श्रीचन्द रामपुरिया की आगम-पाहित्य प्रकाश समिति गठित की गई थी, जिसकी अवधि पाँच वर्ष की रखी गई। हमें लिखते हुए परम खेद हो रहा है कि हमारे अन्य साथी एवं परामर्शक श्री मदनचरजो गोठी हमारे बीच नहीं