Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ प्रकाशकीय "दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन"-'पागम-अनुशीलन ग्रन्थ-माला' के प्रथम ग्रन्थ के रूप में पाठकों के हाथों में है। इस ग्रन्थ-माला में एक के बाद एक सभी आगमों के समीक्षात्मक अध्ययन प्रकाशित करने की योजना है / आगम एवं उनके व्याख्या ग्रन्थों के गम्भीर अध्ययन से भारतीय आध्यात्मिक-स्तर, संस्कृति, इतिहास, पुरातत्त्व आदि की जो बहुमूल्य सामग्री उपलब्ध होती है, उसका यह नन्थ एक नमूना है। मागम-साहित्य प्रकाशन की विस्तृत योजना में ऐसे संस्करणों का अपना एक अतुपम स्थान है, इसे कोई अस्वीकार नहीं कर सकता। विद्वज्जन एवं साधारण जनता को लक्ष्य में रखते हुए आगम-साहित्य संशोधन कार्य को छः ग्रन्थ-माला के रूप में नथित करने का उपक्रम वाचना प्रमुख आचार्य श्री तुलसी ने अपने बलिष्ठ हाथों में लिया है। नन्य-मालाओं की परिकल्पना निम्न प्रकार है : १-आगम-सुत्त ग्रन्थ-माला-इस ग्रन्थ-माला में आगमों के मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि होंगे। २-आगम-ग्रन्थ-माला- इस ग्रन्थ-माला में प्रागमों के मूलपाठ, पाठान्तर, संस्कृत-छाया, हिन्दी अनुवाद, पद्यानुक्रम या सूत्रानुक्रम आदि होंगे। ३-आगम-अनुसन्धान ग्रन्थ-माला-इस ग्रन्थ-माला में आगमों के टिप्पण होंगे। ४-आगम-अनुशीलन ग्रन्थ-माला--इस ग्रन्थ-माला में आगमों के समीक्षात्मक अध्ययन होंगे। ५-आगम-कथा प्रन्थ-माला-इस ग्रन्थ-माला में आगमों से सम्बन्धित कथाओं का संकलन होगा। ६-वर्गीकृत-आगम ग्रन्थ-माला-इस ग्रन्थ-माला में आगमों के वर्गीकृत और * संक्षिप्त संस्करण होंगे। परम श्रद्धेय आचार्य श्री तुलसी और उनके विद्वान साधु-साध्वी गण अजस्र अथक परिश्रमशीलता और संशोधक वृत्ति से योजना की परिपूर्ति में जुटे हुए हैं। ___ इस योजना की परिसीमा में दशवकालिक ( भाग-२ ) संशोधित मूलपाठ, संस्कृतछाया, हिन्दी अनुवाद और विस्तृत टिप्पणियों सहित डबल डिमाई , साइज के 800 पृष्ठों के बृहदाकार में प्रकाशित किया जा चुका है। आज तक प्रकाशित दशवकालिक के संस्करणों में जैन-अजैन विद्वानों ने उसे मुक्त रूप से सर्वोच्च कोटि का स्वीकार किया है। वाचना प्रमुख आचार्य श्री की देख-रेख में होने वाले कार्य की महत्ता इसी से ऑकी जा सकती है।