Book Title: Dashashrut Skandh Granth
Author(s): Kulchandrasuri, Abhaychandravijay
Publisher: Jain Shwetambar Murtipujak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 83
________________ ''श्रीदशाश्रुतस्कंधे उपाशक-प्रतिमा अध्ययनम्-६ एवं जाव सबाओ कोहाओ सातो माणातो सव्वातो मातातो सव्वातो लोभातो सव्वातो पेज्जातो दोसातो कलहातो अब्भक्खाणातो पेसुण्ण-परपरिवादातो अरतिरति-मायामोसातो मिच्छादसण-सल्लातो अपडिविरता, जावज्जीवाए सव्वातो कसाय-दंतकट्ठ-ण्हाण-मद्दण-विलेवण-सद्द-फरिस-रस-रूवगंध-मल्लालंकारातो अपडिविरता, जावज्जीवाए सव्वातो सगड-रह-जाणजुग-गिल्लि-थिल्लि-सीया-संदमाणिय-सयणासण-जाण-वाहण-भोयण'पवित्थरविधीतो अपडिविरता, जावज्जीवाए असमिक्खियकारी, सव्वातो आसहत्थि-गो-महिस-गवेलय-दासी-दास-कम्मकरपोरुसातो अपडिविरया, जावज्जीवाए सव्वातो कय-विक्कय-मासद्धमास-रूवग-संववाहारातो अपडिविरया, जावज्जीवाए सव्वातो हिरण्ण-सुवण्ण-धण-धन्न-मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवालाओ अपडिविरया, जावज्जीवाए सवाओ कूडतुल-कूडमाणाओ अप्पडिविरया, सव्वाओ आरंभ-समारंभाओ अप्पडिविरया, सव्वाओ करण-कारावणाओ अप्पडिविरया, सव्वातो पयण-पयावणाओ अप्पडिविरया, सव्वातो कुट्टण-पिट्टणातो तज्जण-तालण-बंधवह-परिकिलेसतो, अपडिविरता, जावज्जीवाए जे यावन्ना तहप्पगारा सावज्जा अबोधिआ कम्मंता कज्जंति, परपाण-परिआवणकडा कज्जंति, ततोवि अ अपडिविरता जावज्जीवाए । से जहा नामए केइ पुरिसे कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निफाव-चणकुलत्थ-आलिसंद हरिमंथ-जव एमाइएहिं अजते कूरे मिच्छादंडं पउंजइ । एवमेव तहप्पगारे पुरिसज्जाते तित्तिर-वट्टा-लावक-कपोत-कपिंजलमिय-महिस-वराह-गाह-गोध-कुम्म-सिरीसवादिएहिं अजते कूरे मिच्छादंडं पउंजइ । जावि य से बाहिरिया परिसा भवति तं दासेति वा पेसेति वा भतएति वा भाइल्लेति वा कम्मारए ति वा भोगपुरिसेति वा, तेसिंपिय णं अण्णयरंसि अधालघुसगंसि अवराधंसि सयमेव गरुयं दंडं वत्तेति । तंजहा-इमं दंडेह, इमं मुंडेह, इमं वज्जेध, इमं तालेध, इमं अंदुबंधणं करेह, इमं नियल-बंधणं करेह इमं हडिबंधणं करेह, इमं चारग-बंधणं करेह, इमं नियल-जुयल-संकोडिय-मोडितं करेह, इमं हत्थ-छिन्नं करेह, इमं पाद-छिन्नं करेह, इमं कन्नं, इमं नक्कं, इमं उर्ल्ड, इमं सीसच्छिन्नयं करेह, इमं मुखं, इमं 'वेयच्छा, इमं हितओपाडियं करेह, एवं नयण१. 'पवित्यरविधातो' पाठान्तरम् । २. वैकक्षं बन्धविशेषो यथा स्यात्तथा बध्नीत, यदिवा द्वे कक्षे छिन्ने स्यातां तथा कुरुत । ३. हृदयाऽवपाटितं कुरुत । ఉంటంటయయంతరం 40 మంటలేండింగంగంగం

Loading...

Page Navigation
1 ... 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174