Book Title: Chintan ke Zarokhese Part 2
Author(s): Amarmuni
Publisher: Tansukhrai Daga Veerayatan

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Page 13
________________ हर किसी सहृदय की दर्द भरी अन्तर्व्यथा माया महाठगनी सेवापहाणो हि मणुस्स धम्मो : वर्तमान दुःस्थिति में हमारा कर्तव्य भारतीय संस्कृति का कलंक : सती प्रथा समागत नव वर्ष : स्वागतम् जैन संस्कृति की शिष्टाचार संबंधी स्वर्णिम रेखाएँ जीवन का केन्द्र बिन्दु : योग्य भोजन धर्म - क्रान्ति की दिशा में एक नया कदम : आर्य चन्दनाश्री जैनाचार्य पदालंकृत अनन्त मूर्ति : अनेकान्त Jain Education International For Private & Personal Use Only ४५७ ४६२ ४६८ ४७४ ४८१ ४८६ ४९५ ५०२ ५०७ www.jainelibrary.org

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