Book Title: Chaityavandan Parvamala Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Abhinav Shrut Prakashan View full book textPage 7
________________ पर्वमाला [३] [ ४ ] चौवीशमो जिनराजजी, चम्पापुरी आवे, चौद सहस अणगारना, स्वामी तेह कहावे...१... अढी कोश ऊंचो सही, समवसरण विरचावे, त्रिभुवनपति गुरु तेहमां, उपदेश वरसावे...२... जित शत्रु राजा तिहां, प्रभु ने वन्दन आवे, ते पण समवसरणमांही, बेसी हरषित थावे...३... भविक जीवना हित भणी, गौतम पूछे जिनने, बीज तिथि महिमा कहो, संशय हरण प्रभु अमने... ४ तव प्रभु परखदा आगले, बीजनो महिमा भाखे, पंच कल्याणक जिन तणा, ते सहु संघनो साखे... ५... बीजे अजित जनमिया, बीजे सुमति च्यवन, बीज वासुपूज्यजी, लह्यु केवल नाण... ६... दशमा शोतलनाथजी, बीजे शिव पाम्या, सातमा चक्री अर जिन, जन्म्या गुणधाम... ७... ओ पांचे जिन समरतां, भवि पामे दोय धर्म, 1 • सर्व विरति ने देश विरति टाळे पातिक मर्म... वीर कहे द्वितिया तिथि, ते कारण तमे पाळो, चन्द्रकेतु राजा परे, आतम अजवाळो... ६... ते सांभळी बहु आदरे, प्राणी बीज तिथि सार, ते आराधतां केइना. थया आतम उद्धार... १०... चोविहार उपवास करो, बीज आराधो विवेक, नय सागर कहे वीर जिन, द्यो मुजने शिव ओक... ११... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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