Book Title: Bhav aur Anubhav
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गतिका क्रम
मैंने आगे बढ़े हुए पैर से पूछा, तुम बड़े हो ?
उसने उत्तर दिया, नहीं ।
फिर आगे क्यों? उसके गर्वको सहलाते हुए मैंने कहा ।
उसने उत्तर दिया, गतिका यही क्रम है |
मैंने पीछे रहे पैरसे पूछा, तुम छोटे हो ? उसने उत्तर दिया, नहीं ।
मैंने
फिर पीछे क्यों ? उसके गर्वपर हलकी-सी चोट करते हुए उसने उत्तर दिया, गतिका यही क्रम है ।
मैंने दूसरे ही क्षण देखा, आगेवाला पैर पीछे है और पीछेवाला आगे । मैं मौन नहीं रह सका । मैं कह उठा, यह क्यों ? दोनोंने एक स्वर से उत्तर दिया, गतिका यही क्रम हैं । मैं विस्मय-भरी आँखोंसे देखता रहा चले जा रहे थे ।
वे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते
-
भाव और अनुभाव
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कहा ।
१५
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