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नेतृत्व
प्रत्येक मनुष्य चिन्तन नहीं कर सकता कि मुझे कहाँ जाना है। सोचनेवाले कुछ दूरकी सोचते हैं। पर नेता सोचता है, मुझे समाजको उस केन्द्र-बिन्दुपर ले जाना है, जहाँ सबका लाभ है। सब नेता नहीं होते और सब अनुयायी भी नहीं होते। सब गायें ही हों तो उन्हें कौन ले जाये ? अगर सब वाले ही हों तो किसको ले जायें ?
भाव और अनुभाव
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