Book Title: Bhav aur Anubhav
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 124
________________ मानो या मत मानो मैं धार्मिक हूँ - यह तुम मानो या मत मानो किन्तु यह तो मानो कि मैं अधार्मिक हूँ। मैं आस्तिक हूँ – यह तुम मानो या न मानो किन्तु यह तो मानो कि मैं नास्तिक हूँ। मैं प्रकाश हूँ-- यह तुम मानो या न मानो किन्तु यह तो मानो कि मैं अन्धकार हूँ। तुम नहीं जानते प्रकाश वही होता है कि जो अँधेरेमें-से निकलता है। धर्म वही होता है जो अधर्ममें से निकलता है। आस्था वही होती है, जो अनास्थामें-से उपजती है । माव और अनुभाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134